
Bilkis Bano case: बिलकिस बानो रेप और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में सभी 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ विरोध तेज होता जा रहा है. वहीं अब इस मामले में गोधरा के बीजेपी विधायक सीके राउलजी ने दोषियों के समर्थन में एक चौंकाने वाला बयान दे दिया.
विधायक ने कहा कि बिलकिस रेप केस के कुछ दोषी 'ब्राह्मण' हैं, जिनके अच्छे 'संस्कार' हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि 15 साल से ज्यादा समय के बाद जेल से रिहा किए गए दोषी अपराध में शामिल थे या नहीं. सीके राउलजी दोषियों की सजा माफ करने वाली सरकारी समिति का हिस्सा थे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लिया निर्णय
विधायक राउलजी ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर निर्णय लिया था. हमें दोषियों के आचरण को देखना था और उन्हें समय से पहले रिहा करने पर निर्णय लेना था.हमने जेलर से पूछा और पता चला कि जेल में उनका आचरण अच्छा था. इसके अलावा कुछ दोषी ब्राह्मण हैं. उनके संस्कार अच्छे हैं.'
उन्होंने कहा, 'संभव है कि उनके परिवार के अतीत में किये गए कामों के कारण उन्हें फंसाया गया हो. जब ऐसे दंगे होते हैं तो ऐसा होता है कि जो शामिल नहीं होते उनका नाम आता है. लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्होंने अपराध किया था या नहीं. हमने उनके आचरण के आधार पर सजा माफ की.'
बुद्धिजीवियों ने रिहाई का फैसला रद्द करने की मांग की
बिलकीस बानों मामले में जेल से बाहर आए सभी दोषियों की रिहाई रद्द करने के लिए छह हजार से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी की है. एक संयुक्त बयान में उन्होंने कहा, “सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषी 11 लोगों की सजा माफ करने से उन हर बलात्कार पीड़िता पर निराशाजनक प्रभाव पड़ेगा, जिन्हें न्याय व्यवस्था पर भरोसा करने, न्याय की मांग करने और विश्वास करने को कहा गया है.”
सुप्रीम कोर्ट से कहा गया, “हम मांग करते हैं कि न्याय व्यवस्था में महिलाओं के विश्वास को बहाल किया जाए. हम इन 11 दोषियों की सजा माफ करने के फैसले को तत्काल वापस लेने और उन्हें सुनाई गई उम्र कैद की सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने की मांग करते हैं.”
...अत्याचार करने वालों पुरुषों के मन में डर नहीं रहेगा
सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि सजा माफी का निर्णय तत्काल वापस लिया जाए क्योंकि हत्या और बलात्कार के इन दोषियों को सजा पूरी करने से पहले रिहा करने से महिलाओं के प्रति अत्याचार करने वाले सभी पुरुषों के मन में (दंडित किये जाने का) भय कम हो जाएगा.
रिहाई रद्द करने की मांग करने वालों में आम नागरिक के अलावा सहेली महिला संसाधन केंद्र, गमना महिला समूह, बेबाक कलेक्टिव, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संघ समेत कई अन्य संगठनों के अलावा लेखक, इतिहासकार, विद्वान, फिल्म निर्माता, पत्रकार और पूर्व नौकरशाह शामिल हैं.
दोषियों की रिहाई केंद्र के निर्देशों का उल्लंघन
सामूहिक बयान में कहा गया, "यह शर्म की बात है कि जिस दिन हमें अपनी आजादी का जश्न मनाना चाहिए और अपनी आजादी पर गर्व होना चाहिए, उस दिन भारत की महिलाओं ने राज्य की उदारता पर सामूहिक बलात्कारियों और सामूहिक हत्यारों को आजाद होते हुए देखा."
इसमें आगे कहा गया, "इस तरह की सजाओं से दोषियों को छूट न केवल अनैतिक है, बल्कि यह गुजरात की अपनी मौजूदा छूट नीति और केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को जारी दिशा-निर्देशों का भी उल्लंघन करती है."