Advertisement

'दोषियों को हो फांसी या आजीवन कारावास, तभी मिलेगा न्याय...', SC के फैसले के बाद बोले- बिलकिस बानो मामले के एकमात्र गवाह

बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले में एकमात्र गवाह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जघन्य अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को फांसी दी जानी चाहिए या उन्हें बचे हुए जीवन तक जेल में रखा जाना चाहिए. तभी उन्हें न्याय मिलेगा.  

SC के फैसले के बाद ये बोले बिलकिस बानो मामले के एकमात्र गवाह. (फाइल फोटो) SC के फैसले के बाद ये बोले बिलकिस बानो मामले के एकमात्र गवाह. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • अहमदाबाद,
  • 12 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 10:37 AM IST

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में दोषियों की रिहाई को मंजूरी देने वाले गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए दोषियों की सजा माफी को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि गुजरात सरकार को माफी देने का भी अधिकार नहीं है.

अब इस मामले में एकमात्र गवाह ने सुप्रीट कोर्ट फैसले के बाद कहा, इस जघन्य अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को फांसी दी जानी चाहिए या उन्हें बचे हुए जीवन तक जेल में रखा जाना चाहिए. तभी उन्हें न्याय मिलेगा.  

Advertisement

आंखों के आगे मरता देखा परिवार: गवाह

पीटीआई के अनुसार, चश्मदीद ने कहा घटना के वक्त में सात साल का था. मैंने अपनी आंखों के सामने अपने परिवार के लोगों को मरते हुए देखा है. मैं अब भी रात में जागता हूं और चिल्लाता हूं, क्योंकि इतने सालों के बाद भी वो पल मुझे परेशान करते हैं.  जब उन्हें सजा माफ कर रिहा किया गया था तो मुझे बहुत दुख हुआ. मुझे अब कुछ हद तक राहत मिली है, क्योंकि उन्हें एक बार फिर सलाखों के पीछे भेजा जाएगा. मेरी मां और मेरी बड़ी बहन उन 14 लोगों में शामिल थीं जो उस दिन मेरी आंखों के सामने मारे गए थे. सभी दोषियों को या तो फांसी दी जानी चाहिए या उन्हें उनके बचे हुए जीवन तक के लिए सलाखों के पीछे रखा जाना चाहिए. तभी न्याय मिलेगा. इन लोगों को फिर कभी रिहा नहीं किया जाना चाहिए.

Advertisement


जंगल में भाग गए थे लोग

उस लड़के को आश्रय देने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, खुद को बचाने के लिए, 17 लोगों का एक ग्रुप, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रणधीकपुर गांव को छोड़कर जंगल के रास्ते देवगढ़ बारिया शहर की ओर चले गए थे.

सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने नाम छिपाने की शर्त पर बताया कि इस लड़के (प्रत्यक्षदर्शी) और उसकी माँ और बड़ी बहन के साथ बिलकिस बानो भी उस ग्रुप में शामिल थी. जिस पर 3 मार्च को भीड़ ने हमला किया था. भीड़ ने उन 17 में से 14 को मार डाला, जिसमें एक नवजात बच्चा भी शामिल था और उन्होंने बिलकिस बानो से सामूहिक बलात्कार किया. उन्होंने बिलकिस और इस लड़के को भी मारने की कोशिश की, लेकिन वे बच गए. एक 4 साल का लड़का भी हमले में बच गया. भीड़ सभी को मरा हुआ समझकर चली गई थी.

मुंबई की अदालत ने दी थी गवाही

वह एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी था, उसने 2005 में मुंबई में एक विशेष CBI अदालत के सामने गवाही दी थी. उनकी गवाही महत्वपूर्ण साबित हुई, क्योंकि यह शिकायतकर्ता बिलकिस बानो द्वारा बताई गई घटनाओं के क्रम से मिल रही थी. उन्होंने सुनवाई के दौरान 11 आरोपियों में से चार की पहचान भी की थी.

बता दें कि बिलकिस बानो मामले में चश्मदीद गवाह घटना के वक्त सात साल का था. अब 28 साल का और गुजरात के अहमदाबाद में अपनी पत्नी और 5 साल के बेटे के साथ रहता है.

Advertisement

क्या है मामला

27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से कारसेवक लौट रहे थे. इस ट्रेन से कारसेवक लौट रहे थे. इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इसके बाद दंगे भड़क गए थे. दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं. बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया. भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया. उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement