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Cyrus Mistry Death:जानें कहां से दर्शन कर लौट रहे थे साइरस मिस्त्री, दिल खोलकर करते थे दान

महाराष्ट्र के पालघर के पास कार एक्सीडेंट में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का निधन हो गया. वे गुजरात के उदवाड़ा स्थित पारसी धर्मस्थल से दर्शन कर लौट रहे थे. पारसी धर्मगुरु ने कहा कि साइरस का निधन पारसी कम्युनिटी के लिए बड़ी क्षति है.

धर्म स्थल से लौट रहे थे साइरस मिस्त्री. धर्म स्थल से लौट रहे थे साइरस मिस्त्री.
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 05 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 7:01 AM IST

Cyrus Mistry Death: टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की रविवार को कार एक्सीडेंट में मौत हो गई. इस हादसे से पहले साइरस पवित्र धर्म स्थान पर गए थे. वह पारसी कम्युनिटी के लिए हमेशा दान देते रहे. रविवार को भी वह धार्मिक स्थान से दर्शन कर लौट रहे थे. हादसे को लेकर गुजरात के उदवाड़ा स्थित पारसी समुदाय के लोग शोक में डूब गए हैं. 

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जानकारी के अनुसार, साइरस मिस्त्री गुजरात के उदवाड़ा पहुंचे थे. यहां उन्होंने दर्शन किए और कुछ तक रुकने के बाद मुंबई के लिए रवाना हुए थे, तभी बीच रास्ते में उनकी कार डिवाइडर से टकरा गई, जिसमें साइरस मिस्त्री और जहांगीर पंडोल का निधन हो गया. इसके अलावा दो घायलों को पालघर से नजदीकी अस्पताल वापी ले जाया गया. घायलों का वापी की रेनबो अस्पताल में इलाज चल रहा है.

डॉक्टर बोले- हालत खतरे से बाहर

घायलों में डॉ. दारायास पंडोल और डॉ.अनाहिता पंडोल शामिल हैं, उन्हें मल्टीपल फ्रैक्चर बताया जा रहा है. डॉक्टर का कहना है कि दोनों खतरे से बाहर हैं, लेकिन काफी चोट आई है. अस्पताल पहुंचे पारसी समाज के धर्मगुरु वडा दस्तूरजी का कहना है कि साइरस मिस्त्री का अवसान काफी दुखद है. 

धर्मगुरु ने कहा कि साइरस मिस्त्री ने इसी साल अपने पिता को खोया था. आज सुबह वह ईरानशा में दर्शन के लिए आए थे. उन्होंने कहा कि इस हादसे से पारसी समाज को बड़ा झटका लगा है. हम दुआ करते हैं कि उनके परिजन को इस दुख को सहन करने की हिम्मत मिले और साइरस मिस्त्री की आत्मा को शांति मिले. उन्होंने कहा कि साइरस मिस्त्री और उनके पिता समाज के लिए बड़े पैमाने पर दान देते थे.

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उदवाड़ा पारसी बड़ा धार्मिक स्थान

उदवाड़ा पारसी समुदाय का बड़ा धार्मिक स्थल है. यहां अताश बेहराम (विजय की अग्नि) की पवित्र अग्नि है, जो ईरान से लाई गई थी. जब संजाण बंदरगाह की स्थापना की गई, तब पारसी इस अग्नि को यहां लाए थे. बाद में इसे उदवाड़ा में प्रतिष्ठित किया गया. उदवाड़ा की इस इमारत में अताश बेहराम को ईरानशाह भी कहा जाता है. अताश बेहराम विश्व की सबसे पुरानी पवित्र अग्नि मानी जाती है, जो सतत प्रज्ज्वलित है.

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