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गुजरात: नहीं सुनी गई फरियाद तो दलित कार्यकर्ता ने खुद को लगाई आग

जमीन विवाद को लेकर दलित परिवार पिछले कुछ वक्त से कलेक्टर ऑफिस का चक्कर लगा रहा था. परिवार के सदस्य कुछ दिन से धरने पर भी थे. बार-बार कलेक्टर के सामने ज्ञापन देने के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई, इसके बाद गुरुवार की दोपहर दलित समाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर ने खुद पर केरोसीन डालकर आत्महत्या करने का प्रयास किया.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अजीत तिवारी/गोपी घांघर
  • पाटन,
  • 15 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

गुजरात के पाटन में एक दलित परिवार की फरियाद नहीं सुनी जाने पर सामाजिक कार्यकर्ता ने कलेक्टर ऑफिस के सामने आत्महत्या की कोशिश की. हालांकि, जलते हुए शख्स को देख तुंरत ही आग पर काबू पा लिया गया और 50 फीसदी से ज्यादा जल चुके कार्यकर्ता को अस्पताल भेज दिया गया.

दरअसल, जमीन विवाद को लेकर दलित परिवार पिछले कुछ वक्त से कलेक्टर ऑफिस का चक्कर लगा रहा था. परिवार के सदस्य कुछ दिन से धरने पर भी थे. बार-बार कलेक्टर के सामने ज्ञापन देने के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई, इसके बाद गुरुवार की दोपहर दलित समाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर ने खुद पर केरोसीन डालकर आत्महत्या करने का प्रयास किया.

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इस दौरान जैसे ही एक शख्स ने अपने शरीर पर केरोसीन डाला मौके पर मौजूद पुलिस ने उसे दबोच लिया. पुलिस इसे संभाल पाती, इससे पहले वहां मौजूद दूसरे शख्स ने भी खुद को आग के हवाले कर दिया. हालांकि, जलते हुए इस शख्स को देख तुंरत ही आग पर काबू पा कर उसे अस्पताल भेजा गया. हालांकि, डॉक्टर के मुताबिक ये शख्स 50 फीसदी तक जल चुका है और स्थिति गंभीर है.

पाटन के समी तहसील के दुदखा गांव का दलित परिवार पिछले 6 महिने से जमीन को लेकर न्याय कि मांग कर रहा था, लेकिन न्याय न मिलने पर गुरुवार सुबह से ही आत्महत्या करने के बोर्ड के साथ पाटन कलेक्टर ऑफिस में पैर जमाए हुए थे. पुलिस की आंखों के सामने ही उसने अपने आपको आग लगा ली और कलेक्टर ऑफिस की ओर दौड़ लगा दी. गनीमत ये थी कि वहां फायर ब्रिगेड की टीम तैनात थी, जिन्होंने तुंरत ही आग पर काबू पा लिया.

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जानकारी के मुताबिक, हेमा बेन वणकर खुद दलित खेत मजदूर हैं. वो पिछले कई सालों से खेत में मजदूरी का काम करती आ रही हैं, लेकिन महेसुल विभाग की दरखास्त के मुताबिक कलेकटर द्वारा दलित को जमीन मिलने की रिपोर्ट देने के बाद और 2013 में जमीन री-ग्रान्ट पर देने के ऑर्डर के बाद उन्होंने 22,236 रुपये भी जमा करवाए थे.

बावजूद इसके उन्हें जमीन नहीं मिल रही थी, जिस वजह से वो बार-बार कलेक्टर ऑफिस में ज्ञापन दे रहे थे. इसके बाद आज वो और उनके साथ दलित सामाजिक कार्यकर्ता भानुभाई वणकर यहा पहुंचे. अपनी मांग पूरी ना होने पर उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया.

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