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गुजरात सरकार का देर रात यूटर्न, आर्थिक आधार पर आरक्षण को SC के अंतिम फैसले तक रोक नहीं

डिप्टी मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने इस मामले में अपना बयान जारी करते हुए कहा कि EBC के मसले पर सरकार ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट अपना आखरी फैसला नहीं सुनाता है सरकार अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेगी.

नितिन पटेल नितिन पटेल
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 24 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:41 AM IST

पाटीदार आरक्षण आंदोलन को शांत करने के लिए राज्य सरकार ने आर्थिक तौर पर आरक्षण के अध्यादेश को शुक्रवार को दिन में रद्द करने की घोषणा के बाद अचानक देर रात इस आदेश को बदल दिया गया और कहा गया कि EBC यानी आर्थिक आधार पर आरक्षण उसी तरह से चालू रहेगा जैसे अब तक है.

डिप्टी मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने इस मामले में अपना बयान जारी करते हुए कहा कि EBC के मसले पर सरकार ने गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जबकि सुप्रीम कोर्ट अपना आखरी फैसला नहीं सुनाता है सरकार अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेगी. गुजरात में एक मई के बाद से ईबीसी के तहत अब तक करीब 3 हजार छात्रों को एडमिशन दिया जा चुका है.

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दरअसल पाटीदार आरक्षण आंदोलन को शांत करने के लिए गुजरात सरकार ने सामान्य जाति के लिए 10 फीसदी आर्थिक तौर पर आरक्षण देने की घोषणा की है, हालांकि शुक्रवार को गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मिली फटकार के बाद सरकार ने आर्थिक तौर पर दिए गए आरक्षण को रद्द करने का ऐलान किया था.

गौरतलब है कि गुजरात हाई कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए अनारक्षित श्रेणी के तहत 10 फीसदी आरक्षण के अध्यादेश को रद्द किया था. हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार के इस अध्यादेश को असंवैधानिक बताया था, जिसके बाद गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. पाटीदार आरक्षण की मांग को शांत करने के लिए उस वक्त कि मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने 1 मई से अध्यादेश को लागू करने का ऐलान किया था.

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