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गुजरात में AAP विधायक ने नए राज्य की उठाई मांग, कहा- आदिवासियों के लिए बनाया जाए भील प्रदेश

गुजरात में AAP विधायक चैतर वसावा ने आदिवासियों के लिए नए राज्य 'भील प्रदेश' की मांग उठाई है. उनका कहना है कि आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है इसलिए नया राज्य जरूरी है. आप नेता का कहना है कि इतिहास में भी भील प्रदेश नाम का एक राज्य था, लेकिन भारत की आजादी के बाद उसे विभाजित करके 4 राज्यों में मिला दिया गया.

AAP विधायक चैतर वसावा ने उठाई नए राज्य की मांग AAP विधायक चैतर वसावा ने उठाई नए राज्य की मांग
aajtak.in
  • राजपिपला,
  • 04 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:02 PM IST

गुजरात में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक और आदिवासी नेता चैतर वसावा ने मंगलवार को गुजरात और तीन पड़ोसी राज्यों में आदिवासी आबादी के लिए एक अलग राज्य 'भील प्रदेश' की मांग फिर से उठाई.

गुजरात के नर्मदा जिले में ST आरक्षित डेडियापाड़ा सीट से आप विधायक चैतर वसावा ने कहा, 'इतिहास हमें बताता है कि भील प्रदेश नामक एक अलग राज्य था. लेकिन स्वतंत्रता के बाद उस राज्य को विभाजित किया गया और इसके हिस्सों को गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे विभिन्न राज्यों में मिला दिया गया. इससे पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी के संस्थापक और पूर्व विधायक छोटूभाई वसावा ने भी यह मांग उठाई थी.

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39 जिलों को मिलाकर राज्य बनाने की मांग

लेकिन आज AAP विधायक ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान दावा किया कि इन चार राज्यों (गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र) में 39 आदिवासी बहुल जिले हैं, जो पुराने भील प्रदेश का गठन करते हैं. चैतर वसावा ने कहा कि संविधान की पांचवीं अनुसूची (जिसमें अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण के संबंध में प्रावधान हैं) अभी भी इन जिलों पर लागू है.

उन्होंने कहा कि छोटूभाई वसावा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कई साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को इस मांग से जुड़ा एक ज्ञापन सौंपा था. आप नेता ने कहा, 'यदि सरकार आदिवासियों के साथ अन्याय करना जारी रखती है, तो हम निश्चित रूप से एक अलग भील प्रदेश की मांग उठाएंगे.' 

'आदिवासियों से साथ हो रहा अन्याय'

उन्होंने कहा कि केवड़िया में, जहां स्टैच्यू ऑफ यूनिटी स्थित है, आदिवासी समुदायों की हजारों हेक्टेयर जमीन विभिन्न परियोजनाओं के लिए बाहरी लोगों को दे दी गई. इसके परिणामस्वरूप, क्षेत्र के आदिवासी, जो जमीन के असली मालिक थे, अब 280 रुपये प्रति दिन पर मजदूरों के रूप में काम करने के लिए मजबूर हैं.

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वे बोले, हमारे जल, जंगल और जमीन से हमारा ही अधिकार छीना जा रहा है, इसलिए हम फिर से अलग भील प्रदेश की मांग उठा रहे हैं. आप नेता ने दावा किया कि आदिवासी क्षेत्र पानी, लकड़ी और कोयले के भंडार के साथ-साथ अन्य खनिजों से समृद्ध हैं, लेकिन वे अविकसित हैं और गुजरात में भाजपा सरकार ने आदिवासी समुदायों के लिए बजट को डायवर्ट कर दिया.

इस मांग का भाजपा ने किया विरोध

इस मांग पर भरूच से भाजपा सांसद और साथी आदिवासी नेता मनसुख वसावा ने कहा कि इससे अराजकता पैदा होगी और आदिवासी समुदायों और अन्य लोगों के बीच विवाद पैदा होगा. यह विवाद अंततः आदिवासी क्षेत्रों में विकासात्मक परियोजनाओं के कार्यान्वयन को प्रभावित करेगा.

'अधिकतर आबादी इस फैसले का समर्थन नहीं करती...'

उन्होंने कहा कि दाहोद के पूर्व सांसद सोमजीभाई डामोर ने मूल रूप से आदिवासियों के लिए एक अलग राज्य के लिए एक आंदोलन शुरू किया था, लेकिन उनका किसी ने समर्थन नहीं किया. भाजपा नेता ने कहा, अन्य आदिवासी नेताओं ने भी बाद में इस आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें भी ठंडी प्रतिक्रिया मिली क्योंकि अधिकांश आबादी इसका समर्थन नहीं करती है.

भाजपा नेता ने आम आदमी पार्टी विधायक को सलाह देते हुए कहा कि एक अलग राज्य की मांग करने के बजाय, इन नेताओं को सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहिए कि क्या कमी है और कैसे आदिवासियों के लिए बनाई गई योजनाओं को ठीक से लागू किया जा सकता है.

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आप के टिकट पर पहली बार विधायक बने वसावा

चैतर वसावा आम आदमी पार्टी के टिकट पर गुजरात में पहली बार विधायक बने हैं. बता दें कि 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 5 सीटों पर जीत मिली थी. 

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