
दिल्ली के बाद पंजाब चुनाव में प्रचंड जीत के साथ सत्ता पर काबिज हुई आम आदमी पार्टी की नजरें अब गुजरात पर हैं. गुजरात चुनाव को लेकर जोड़-तोड़-गठजोड़ की राजनीति शुरू हो गई है. सभी सियासी दल अपने-अपने समीकरण सेट करने की कोशिश में जुटे हैं. इस बीच अब चर्चा ये भी शुरू हो गई है कि क्या गुजरात चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी छोटू वसावा की भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के साथ गठबंधन करेगी?
गुजरात की सियासत में ये चर्चा बीटीपी प्रमुख छोटू वसावा के बेटे महेश वसावा की अरविंद केजरीवाल के साथ मुलाकात के बाद तेज हो गई है. गुजरात के आदिवासी मतदाताओं पर अच्छी पकड़ रखने वाले छोटू वसावा के बेटे महेश वसावा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की है. दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान आम आदमी पार्टी के गुजरात के नेता इसुदान गढ़वी भी मौजूद रहे.
बीटीपी विधायक महेश वसावा ने इस मुलाकात को लेकर कहा है कि हम गरीबों के हक के लिए लड़ते हैं. हम छोटू भाई वसावा से बात करने के बाद गठबंधन को लेकर कोई फैसला लेंगे. अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि हम दिल्ली के लोगों की प्रतिक्रिया भी ले चुके हैं. आदिवासी इलाकों में कैसे विकास कार्य किए जा सकते हैं, इस पर अरविंद केजरीवाल के साथ चर्चा की.
महेश वसावा ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों से बेहतर बताया. वहीं, गुजरात में आम आदमी पार्टी के नेता इसुदान गढ़वी ने कहा कि आदिवासियों से संबंधित मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई. गढ़वी ने गठबंधन को लेकर कुछ नहीं कहा लेकिन आम आदमी पार्टी की गुजरात यूनिट पहले ही बीटीपी को साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का न्योता दे चुकी है.
गौरतलब है कि इस साल के अंत तक गुजरात के विधानसभा चुनाव होने हैं. आम आदमी पार्टी ने गुजरात चुनाव लड़ने का ऐलान पहले ही कर दिया है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी बीटीपी जैसे छोटे-छोटे दलों को अपने साथ लाने की कवायद में जुटे हैं. बता दें कि गुजरात में करीब 15 फीसदी आदिवासी वोटर हैं. सूबे की 25 सीटों पर आदिवासी मतदाताओं का अच्छा असर है. आम आदमी पार्टी का बीटीपी के साथ गठबंधन होता है तो आदिवासी इलाकों में पार्टी को बीटीपी के संगठन का सीधा लाभ मिल सकता है.