
उत्तराखंड के अलावा गुजरात भी एक ऐसा राज्य है जहां मुख्यमंत्रियों के लिए अपना कार्यकाल पूरा करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है. अपना दूसरा कार्यकाल पूरा करने से महज सालभर पहले विजय रुपाणी के इस्तीफे के बाद एक बार फिर यह साबित हो गया है कि गुजरात भी मुख्यमंत्री पद की प्रयोगशाला बनकर रह गया है.
गुजरात की 14वीं विधानसभा का कार्यकाल अगले साल दिसंबर में पूरा होना था यानि अभी इसमें करीब 15 महीने का वक्त शेष है, लेकिन कोरोना संकट के बीच राज्य में विजय रुपाणी सरकार के खिलाफ बनते माहौल को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य में अपना नेता बदलने का फैसला ले लिया. रुपाणी दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे और अपने कार्यकाल का चौथा साल पूरा करने से करीब 3 महीने दूर थे लेकिन अचानक उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ गया.
1 मई 1960 को देश के नक्शे पर नए राज्य के रूप में अवतरित होने के बाद अपने 61 साल के इतिहास में आर्थिक रूप से समृद्ध गुजरात को सिर्फ 2 मुख्यमंत्री ही ऐसे मिले हैं जिन्हें अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने का अवसर मिला. मतलब एक कांग्रेस के और एक बीजेपी के नेता ही ऐसा कर सके.
5 साल पूरा करने वाले मोदी दूसरे सीएम
गुजरात में लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहने का रिकॉर्ड नरेंद्र नोदी के नाम दर्ज है. वह लगातार 12 साल 227 दिन तक मुख्यमंत्री पद पर रहे. इस दौरान उन्होंने अपना दो कार्यकाल भी पूरा किया. केशुभाई पटेल के इस्तीफा देने के बाद 7 अक्टूबर 2001 को नरेंद्र मोदी पहली बार मुख्यमंत्री बने.
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दिसंबर 2002 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद 11वीं विधानसभा के गठन के बाद नरेंद्र मोदी दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और 5 साल पूरे किए. इसके बाद 2007 के चुनाव में बीजेपी फिर से सत्ता में लौटी तो वह फिर से 5 साल के लिए तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. 2012 के विधानसभा चुनाव में मोदी की अगुवाई में बीजेपी का विजयी कारवां आगे बढ़ा और चौथी बार मोदी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
हालांकि मई 2014 में केंद्र में बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए के सत्ता में लौटने पर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा. मोदी को गुजरात की राजनीति छोड़े अभी 7 साल 112 दिन ही हुए हैं कि राज्य को उनके बाद अब तीसरा मुख्यमंत्री मिलने जा रहा है.
गुजरात बनने के 25 साल बाद बना इतिहास
मोदी के केंद्र में आने के बाद आनंदीबेन पटेल मई 2014 में मुख्यमंत्री बनीं तो वह महज 2 साल 77 दिन पद पर रहीं और इस्तीफा दे दिया. इसके बाद अगस्त 2016 में विजय रुपाणी को कमान सौंपी गई. रुपाणी के मुख्यमंत्रीत्व काल में बीजेपी को 2017 के चुनाव में जीत मिली. लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में पौने 4 साल गुजारने के बाद उन्हें भी पद से हाथ धोना पड़ा. इस तरह से रुपाणी पद पर 5 साल और 35 दिन ही मुख्यमंत्री रहे.
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में केंद्र में आने के बाद 7 साल और 112 दिन में गुजरात को 3 मुख्यमंत्री देखने पड़े और यह तब है जब राज्य में बीजेपी ही सत्तासीन है और उसके पास बहुमत भी है.
गुजरात की राजनीति में नरेंद्र मोदी युग की शुरुआत से पहले भी यहां पर मुख्यमंत्री के लिए 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाना बेहद कठिन कार्य था. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है. 1960 में राज्य के अस्तित्व में आने के 20 साल के बाद और छठी विधानसभा में ऐसा नेतृत्व मिला जिसने 5 साल पूरे किए.
कांग्रेस के माधवसिंह सोलंकी गुजरात के पहले ऐसे सीएम बने जिन्होंने लगातार पूरे 5 साल मुख्यमंत्री के रूप में गुजारे. माधवसिंह दूसरी बार जून 1980 में मुख्यमंत्री बने और अपना कार्यकाल पूरा किया. वह राज्य में 4 बार मुख्यमंत्री रहे.
दूसरे कार्यकाल में मिला 5-5 साल का मौका
गुजरात की राजनीति में दो दिलचस्प बात यह भी रही राज्य में 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले दोनों मुख्यमंत्रियों को यह सौभाग्य अपने दूसरे कार्यकाल में मिला. माधवसिंह (1976, 1980, 1985 और 1989) को लगातार दूसरी बार सत्ता तो नहीं मिली लेकिन नरेंद्र मोदी (2001, 2002, 2007 और 2012) ने अपने लगातार दूसरे कार्यकाल में 5 साल पूरा किया. साथ में दूसरी बड़ी बात यह रही कि दोनों ने 4-4 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
गुजरात में नरेंद्र मोदी अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने एक दशक से ज्यादा का वक्त मुख्यमंत्री के रूप में गुजारा. इसके बाद सिर्फ 3 मुख्यमंत्री ही ऐसे रहे जिन्होंने अपने कई कार्यकाल के जरिए 5 साल से ज्यादा वक्त तक सीएम रहे.
नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का गौरव कांग्रेस के नेता और राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री हितेंद्र कन्हैयालाल देसाई के नाम है जो अपने 2 कार्यकाल में 5 साल 245 दिन इस पद पर काबिज रहे.
61 साल का इतिहास और 24 मुख्यमंत्री
इसके बाद तीसरे नंबर पर हैं विजय रुपाणी. अगस्त 2016 में आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे के बाद विजय रुपाणी पहली बार मुख्यमंत्री बने. फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भी कमान रुपाणी के पास ही रही. लेकिन पौने 4 साल पद पर रहने के बाद उन्हें भी जाना पड़ा. इस तरह से वह कुल 5 साल 35 दिन तक वह मुख्यमंत्री पद पर बने रहे. इसके बाद माधवसिंह सोलंकी का नंबर है जो 4 बार इस पद पर काबिज हुए और 5 साल 29 दिन इस पद पर रहे.
नरेंद्र मोदी के युग के छोड़ दिया जाए तो गुजरात में भी शीर्ष नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता बनी रही है. मोदी प्रदेश के 22वें मुख्यमंत्री रहे जबकि विजय रुपाणी 24वें. अगले कुछ दिनों में गुजरात को 25वां मुख्यमंत्री मिल जाएगा. 61 साल के राजनीतिक इतिहास में राज्य ने अब तक 24 मुख्यमंत्री देखें. उत्तराखंड से पहले गुजरात को मुख्यमंत्री पद की प्रयोगशाला कहा जाए तो अतिशियोक्ति नहीं होगी.