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गरीब सवर्णों को नौकरी में आरक्षण देने वाला पहला राज्य बना गुजरात, कल से लागू

President Ramnath Kovind की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण (Economically weaker section in General category 10 percent reservation bill) देने संबंधी बिल पर हस्ताक्षर करने के बाद गुजरात ने अपने राज्य में इस व्यवस्था को लागू करने का ऐलान किया है. गुजरात गरीब सवर्णों को आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है.

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी (फाइल फोटो- ट्विटर) गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी (फाइल फोटो- ट्विटर)
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 13 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 5:27 PM IST

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी बिल पर हस्ताक्षर करने के बाद गुजरात ने अपने राज्य में इस व्यवस्था को लागू करने का ऐलान किया है. गुजरात गरीब सवर्णों को आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है. शनिवार को राष्ट्रपति कोविंद के मंजूरी देने के बाद अब देश में सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ हो गया.

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केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है. अधिसूचना जारी होने के एक दिन बाद ही गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने रविवार को अपने राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐलान किया. गुजरात में आरक्षण की यह नई व्यवस्था कल सोमवार (मकर संक्रांति) से लागू होगी.

गुजरात सरकार के आरक्षण की नई व्यवस्था लागू करने के ऐलान पर मुख्य विपक्षी दल प्रदेश कांग्रेस अमित छावड़ा ने कहा कि यह सिर्फ घोषणा तक सीमित नहीं होना चाहिए. सरकार को इसे लागू करना चाहिए.

सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 जनवरी को मुहर लगाई और इस संबंध में जानकारी दी गई. फिर आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिए 8 जनवरी को लोकसभा में संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया. लंबी बहस के बाद यह विधेयक लोकसभा में पास हो गया.

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इसके अगले दिन राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक को पेश किया गया और लंबी बहस के बाद यहां भी पास कर दिया गया. दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति कोविंद के पास भेजा गया. अब राष्ट्रपति कोविंद ने बिल पर हस्ताक्षर कर अपनी मंजूरी दे दी है. यह आरक्षण अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को मिलने वाले 49.5 फीसदी आरक्षण से अलग होगा.

गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ पाने के इच्छुक अभ्यर्थी के परिवार की सालाना आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए. हालांकि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक राज्य सरकारों के पास इस सीमा में बदलाव करने का अधिकार है.

उन्हीं गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ मिलेगा जिनके पास 5 एकड़ से ज्यादा कृषि योग्य भूमि नहीं होगी. साथ ही इच्छुक व्यक्ति या उसके परिवार के पास 1,000 स्क्वायर फीट से बड़ा घर नहीं होना चाहिए.

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