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गुजरात चुनाव 2017: क्या 22 साल का 'सियासी वनवास' खत्म कर पाएगी कांग्रेस?

कांग्रेस गुजरात की सत्ता से 22 साल पहले बेदखल हुई और अब तक बीजेपी ने उसे वापसी का कोई मौका नहीं दिया. हालांकि, अक्टूबर 1996 से मार्च 1998 के बीच कांग्रेस राष्ट्रीय जनता पार्टी सरकार का हिस्सा जरूर रही. मगर पार्टी की अपनी सरकार नहीं बन पाई.

गुजरात में इस साल के आखिर में है चुनाव गुजरात में इस साल के आखिर में है चुनाव
जावेद अख़्तर
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  • 18 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 7:43 AM IST

उत्तर-प्रदेश की सत्ता से 27 साल तक बेदखल रहने के बाद कांग्रेस जब 2017 विधानसभा चुनाव के रण में उतरी तो नारा दिया '27 साल यूपी बेहाल'. हालांकि, मतदान से पहले ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की दोस्ती हो गई, लिहाजा कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को यूपी की दीवारों पर लिखा ये नारा पुतवाना पड़ा. बावजूद इसके अखिलेश की सत्ता और राहुल की साख दोनों ही हवा हो गई.

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अब नंबर गुजरात का है, जहां इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. कांग्रेस गुजरात की सत्ता से 22 साल पहले बेदखल हुई और अब तक बीजेपी ने उसे वापसी का कोई मौका नहीं दिया. हालांकि, अक्टूबर 1996 से मार्च 1998 के बीच कांग्रेस राष्ट्रीय जनता पार्टी सरकार का हिस्सा जरूर रही. मगर पार्टी की अपनी सरकार नहीं बन पाई.

1995 विधानसभा चुनाव में कुल 182 सीटों में से 121 पर बीजेपी उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. इसके साथ ही बीजेपी ने पहली बार गुजरात में सरकार बनाई और केशुभाई पटेल मुख्यमंत्री बने. कांग्रेस को न सिर्फ सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पड़ा, बल्कि वो महज 45 सीटों पर सिमट गई.

इस चुनाव के बाद बीजेपी ने कांग्रेस की कमर तोड़ दी. चुनाव-दर चुनाव कांग्रेस की स्थिति कमजोर होती गई. 1998 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने 117 सीटों के साथ अपना परचम लहराया और कांग्रेस 53 सीटों तक ही पहुंच पाई. सरकार के इसी कार्यकाल में नरेंद्र मोदी के हाथ में सूबे की कमान आ गई. मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल पर भूकंप से निपटने में फेल होने के सवाल उठे, जिसके बाद 2001 में ही खराब स्वास्थ्य के दावे के साथ उनकी कुर्सी पर मोदी को विराजमान किया गया.

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बीजेपी ने 2002 का चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा और एक बार फिर फतह हासिल की. इस तरह बीजेपी की जीत का सिलसिला 2007 से होते हुए 2012 तक चलता रहा. बीजेपी ने 2012 के चुनाव में 119 सीटें जीतीं और कांग्रेस को एक बार फिर साठ का आंकड़ा नहीं छूने दिया.

हालांकि, अब मोदी केंद्र की सत्ता में हैं. उनके चाणक्य अमित शाह भी अब दिल्ली पहुंच चुके हैं. पाटीदारों का समर्थन भी अब बीजेपी से छिटकता नजर आ रहा है. ऐसे में कांग्रेस अपनी 22 साल पुरानी राजनीतिक जमीन हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी के जोर लगाने के मूड में है. मगर विकास का मॉडल कहे जाने वाले गुजरात में क्या कांग्रेस यूपी की तरह '22 साल गुजरात बेहाल' की तर्ज पर चुनावी मैदान में उतर पाएगी या फिर वो नोटबंदी-जीएसटी और सांप्रदायिकता जैसे मुद्दों और पाटीदारों के गुस्से के आधार पर ही बीजेपी का मुकाबला करने उतरेगी, ये बड़ा सवाल है?

 

 

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