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पाटीदार नेता हार्दिक पटेल गुजरात की राजनीति में इन दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में बने हुए हैं. अटकलें लगाई जा रही हैं कि हार्दिक पटेल जल्द ही कांग्रेस का हाथ छोड़ और बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. हार्दिक पटेल के बीजेपी ज्वाइन करने की अटकलों के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है.
गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हार्दिक के बीजेपी में शामिल होने की खबरों ने कांग्रेस को परेशान कर दिया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल के नेतृत्व के कारण ही कांग्रेस, बीजेपी को 99 सीटों पर समेटने में कामयाब रही थी. अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार हार्दिक कांग्रेस से नाराज क्यों हैं?
दरअसल हार्दिक पटेल ने 2017 के चुनाव के बाद आधिकारिक तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को ज्वाइन किया था. कांग्रेस ने भी हार्दिक पटेल को पाटीदार समाज का नेता होने के नाते कार्यकारी अध्यक्ष का स्थान दिया और 2019 लोकसभा चुनाव और हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनाव में हार्दिक पटेल के जरिए चुनावी सभा भी करवाई.
कहां से शुरू हुई परेशानी?
हार्दिक पटेल ने कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार तो कर दिया लेकिन इससे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को परेशानी होने लगी. ऐसा इसलिए क्योंकि हार्दिक किसी भी कार्यक्रम में जाते तो सभी की निगाहें उन्हीं पर होती थीं. खासकर राहुल और प्रियंका गांधी से हार्दिक पटेल को महत्व मिलने की बात गुजरात कांग्रेस को नागवार गुजरी.
जिसका नतीजा यह हुआ कि राज्य के कांग्रेस नेताओं ने पहले हार्दिक पटेल को सार्वजनिक कार्यक्रम से नजरअंदाज करना शुरु किया. कुछ ही वक्त के बाद हालात यहां तक पहुंच गए कि गुजरात में कांग्रेस के कौन-कौन से कार्यक्रम हो रहे हैं इसके बारे में हार्दिक पटेल को जानकारी ही देना बंद करवा दिया गया. हालांकि इन सबका हार्दिक पर कोई असर नहीं हुआ, लेकिन कोरोना काल में पिता की मौत के उन्हें तोड़कर रख दिया. हार्दिक के पिता के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और खुद प्रधानमंत्री ने उन्हें फोन कर हाल जाना, लेकिन कांग्रेस के नेता कोरोना खत्म होने के बाद भी वहां नहीं पहुंचे.
कांग्रेस और प्रियंका से नाराज हैं हार्दिक?
हार्दिक पटेल का कहना है कि वह राहुल या प्रियंका गांधी से नहीं बल्कि गुजरात के कांग्रेस अध्यक्ष से है. हार्दिक का कहना है कि उन्होंने कई बार अपनी बात गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष के सामने रखी, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला. आजतक के साथ खास बातचीत करते हुए हार्दिक पटेल ने कह, कांग्रेस गुजरात की सत्ता से 30 सालों से बाहर है, लेकिन हाईकमान फिर भी कोई ठोस फैसला नहीं ले रहा है.
इस मामले में बीजेपी की तारीफ करते हुए हार्दिक पटेल ने कहा, बीजेपी 30 साल से गुजरात में सत्ता में है लेकिन आज भी पार्टी में किसी भी चीज को लेकर डिसीजन काफी स्ट्रॉग रहता हैं.
बीजेपी नेताओं के करीबी ने लड़ा हार्दिक का केस
हाल ही में हार्दिक पटेल की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया था. सजा पर स्टे ऑर्डर के बाद हार्दिक पटेल ने ये एलान भी कर दिया की वह गुजरात में चुनाव लड़ेंगे. हार्दिक पटेल सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने वाले वकील का नाम था मनिंदर सिंह. यह बात कम ही लोगों को पता है कि वकील मनिंदर सिंह के बीजेपी नेताओं से अच्छे संबंध हैं
अब सवाल खड़ा हो रहा है कि हार्दिक पटेल ने बीजेपी ने अच्छे रिश्ते रखने वाले वकील को अपना केस क्यों दिया, जब कांग्रेस के पास कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ वकीलों का पैनल है.
जानकारों का कहना है कि हार्दिक पटेल का बीजेपी में शामिल होने की मुख्य वजह उन पर लगे राष्ट्रद्रोह समेत 30 से ज्यादा केस हैं. गुजरात के अलग-अलग शहरों में हार्दिक पटेल पर केस चल रहे हैं. ऐसे में हर बार हार्दिक के लिए उन केस में हाजिर रहना संभव नहीं हे और यही केस आगे चल कर हार्दिक के राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल खड़े कर सकते हैं. ऐसे में बीजेपी के साथ जुड़ना के लिए फायदेमंद है.
बीजेपी से जुड़ने पर होगा फायदा?
हार्दिक पटेल पाटीदार समुदाय से आते हैं. पाटीदार समुदाय सालों से बीजेपी की वोट बैंक रहा हैं. हार्दिक पटेल अगर बीजेपी नेता के तौर पर भी अपने समुदाय में जाते हैं तो उन्हें वही मान-सम्मान मिलेगा. आम तौर पर देखा जा सकता है कि पाटीदार समुदाय के सामाजिक संस्थान के लोग कांग्रेस से दूरी बनाए रखने में ही अपना भला समझते हैं. अगर हार्दिक पटेल बीजेपी ज्वाइन करते हैं तो इससे उनका पाटीदार समाज में मान बढ़ेगा. अब यह देखने दिलचस्प होगा की हार्दिक पटेल बीजेपी से जुड़ते हैं या नहीं, लेकिन इतना तो साफ है कि 2022 के चुनाव से पहले हार्दिक पटेल गुजरात की राजनीति में बड़ा हेरफेर जरूर करेंगे.