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इंडिया टुडे-एक्सिस-माय-इंडिया एग्जिट पोल: बीजेपी का गुजरात में सिक्सर

भारतीय जनता पार्टी गुजरात में कांग्रेस की चढ़ाई को थामने में सफल रही है और अपने इस मजबूत गढ़ पर कब्जा बरकरार रखती नजर आ रही है. इंडिया टुडे-एक्सिस-माय-इंडिया एग्जिट पोल के नतीजे ऐसे ही संकेत दे रहे हैं. 

फाइल फोटो फाइल फोटो
खुशदीप सहगल/राहुल कंवल
  • गांधीनगर,
  • 14 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:01 AM IST

भारतीय जनता पार्टी गुजरात में कांग्रेस की चढ़ाई को थामने में सफल रही है और अपने इस मजबूत गढ़ पर कब्जा बरकरार रखती नजर आ रही है. इंडिया टुडे-एक्सिस-माय-इंडिया एग्जिट पोल के नतीजे ऐसे ही संकेत दे रहे हैं.  

एग्जिट पोल में बीजेपी को 182 सदस्यीय विधानसभाओं में 99-113 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है. जहां तक कांग्रेस गठबंधन का सवाल है तो उसे 68-82 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है. 2012 चुनाव की तुलना में इस बार बीजेपी का वोट शेयर 1%  गिरने का अनुमान है. 2012 में बीजेपी को 48% वोट मिले थे तो इस बार पार्टी को 47% वोट ही मिलते नजर आ रहे हैं. हालांकि कांग्रेस के वोट शेयर में 2012 चुनाव की तुलना में 3% वोटों का इजाफा होता नजर आ रहा है. कांग्रेस को 2012 में 39% वोट मिले थे. इस चुनाव में कांग्रेस को 42% वोट मिलने का अनुमान है.

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एक्सिस-माय-इंडिया एग्जिट पोल ने सौराष्ट्र और कच्छ की 54 सीटों पर कांग्रेस को अच्छा लाभ मिलते हुए दिखाया है. उत्तर गुजरात की 32 सीटों पर भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा है. लेकिन बीजेपी दक्षिण और मध्य गुजरात में पारंपरिक तौर पर अपने मजबूत गढ़ों में दमदार प्रदर्शन के बूते फिनिशिंग रेखा को पार करती नजर आ रही है. अहमदाबाद की 21 सीटों पर भी बीजेपी के लिए यही बात कही जा सकती है.

एग्जिट पोल में क्षेत्रवार नतीजों पर नजर डालने से पता चलता है कि क्यों राजनीतिक पंडितों और नेताओं की ओर से चुनाव कैम्पेन के दौरान मिश्रित संकेत सामने आ रहे थे. सौराष्ट्र, कच्छ और कुछ हद तक उत्तर गुजरात में लेउवा और कडवा पटेल, ठाकोर, कोली और दलित वोटरों ने बड़े पैमाने पर कांग्रेस के लिए वोट किया है. लेकिन पार्टी इसी तरह का मतदाताओं का विश्वास मध्य और दक्षिण गुजरात की सीटों और अहमदाबाद जिले की 21 सीटों पर हासिल नहीं कर सकी.  

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एग्जिट पोल संकेत देता है कि अगर कांग्रेस ने दक्षिण और मध्य गुजरात में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी के साथ चुनाव से तीन-चार महीने पहले ही गठबंधन कर लिया होता तो नतीजों में उसका कहीं बेहतर प्रदर्शन सामने आता.  

1995 से गुजरात की सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए 2017 चुनाव मुश्किल और थकाने वाली लड़ाई रहा है. 22 साल की एंटी-इंकम्बेंसी (सत्ता विरोधी रुझान) ने भगवा पार्टी की छवि को इस चुनाव में आघात लगाया. लेकिन बीजेपी अगर फिनिशिंग लाइन को पार करने में सफल हो रही है तो इसके दो अहम और बड़े कारण है. पहला, एक गुजराती के देश के प्रधानमंत्री होने को लेकर राज्य के लोगों की ओर से गर्व महसूस करना. और दूसरा, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में दुर्जेय सांगठनिक चुनाव मशीनरी.

ये देखना दिलचस्प है कि एक्सिस-माय-इंडिया एग्जिट पोल सौराष्ट्र, कच्छ और उत्तर गुजरात में सीटों की संख्या को लेकर कांग्रेस को बीजेपी से आगे दिखा रहा है. सौराष्ट्र और कच्छ की कुल 54 सीटों में से कांग्रेस का 30 सीटों पर आगे रहने का अनुमान है, वहीं बीजेपी क 23 सीट ही मिलती दिख रही हैं. उत्तरी गुजरात की 32 सीटों में से कांग्रेस को 18 सीटों पर बढ़त का अनुमान है. उत्तरी गुजरात में बीजेपी को 14 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है.   

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मध्य और दक्षिण गुजरात के साथ ही अहमदाबाद में बीजेपी को अजेय बढ़त मिलती दिख रही है. मध्य गुजरात की कुल 40 सीटों में से बीजेपी को 29 सीट मिलती नजर आ रही हैं. यहां कांग्रेस को सिर्फ 11 सीट मिलने का अनुमान है. दक्षिण गुजरात की 35 सीटों में से बीजेपी 25 सीटों पर आगे नजर आ रही है, यहां कांग्रेस के खाते में सिर्फ 10 सीट जाती नजर आ रही हैं.

एग्जिट पोल दिखाता है कि जीएसटी और नोटबंदी ने शहरी क्षेत्रों में बीजेपी की संभावनाओं को नुकसान नहीं पहुंचाया है. शहरी गुजरात की बात की जाए तो बीजेपी कुल 55 सीटों में 42 सीटें झटक कर शानदार प्रदर्शन की ओर अग्रसर है. गुजरात के कारोबारी बेशक जीएसटी को लेकर नाखुशी जताने में मुखर रहे हों लेकिन मतदान के दिन उन्होंने बीजेपी के साथ खड़े रहना ही पसंद किया. शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस को महज 13 सीट मिलने का ही अनुमान है. सूरत, वडोदरा और अहमदाबाद जैसे वाणिज्यिक क्षेत्रों में कांग्रेस की एक बार फिर बुरी गत बनती दिख रही है.

जहां तक गुजरात की 127 ग्रामीण सीटों का सवाल है तो यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई है. ग्रामीण गुजरात में बीजेपी 64 सीट पर जीत हासिल करती नजर आ रही हैं. वहीं कांग्रेस भी 62 सीट जीतकर बीजेपी को बराबरी की टक्कर देती नजर आ रही है. ये भी इत्तेफाक ही है कि ग्रामीण गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही बराबरी का वोट शेयर यानि 45%-45% वोट मिल रहे हैं.

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जातिगत आंकड़ों की बात की जाए तो गुजरात एग्जिट पोल गुजराती वोटरों के मन की थाह पर अच्छी तरह रोशनी डालता है. गुजरात की लेउवा पटेल प्रभुत्व वाली 12 सीटों पर कांग्रेस को 8 और बीजेपी को 4 सीटों पर जीत मिलती नजर आ रही है. कडवा पटेलों की बहुलता वाली राज्य की चार सीटों में से कांग्रेस को 3 सीट मिलने का अनुमान है. साफ है कि हार्दिक पटेल फैक्टर ने पाटीदारों के असर वाली सीटों पर बीजेपी को कड़ी चोट पहुंचाई है. ये सीटें पहले बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती थीं.  

कांग्रेस को अल्पेश ठाकोर के साथ गठबंधन ने ठाकोरों के प्रभाव वाली सीटों पर लाभ पहुंचाया है. ठाकोरों के असर वाली 25 सीटों में से कांग्रेस के खाते में 13 सीट जाती नजर आ रही हैं. बीजेपी को यहां 12 सीट मिलने का ही अनुमान है.

बीजेपी अऩ्य पिछड़ा जातियों (ओबीसी) के प्रभाव वाली 52 सीटों में से 35 सीट झटक कर अच्छा प्रदर्शन करती नजर आ रही है. कांग्रेस को सिर्फ 16 ओबीसी प्रभुत्व वाली सीटों से संतोष करना पड़ सकता है. ग्रामीण इलाकों में पाटीदार वोटरों के कांग्रेस के समर्थन में एकजुट होने का एक असर ये भी रहा कि प्रतिद्वंद्वी समुदायों के वोटों का जमावड़ा दूसरी तरफ हो गया.  

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ये देखना भी दिलचस्प है कि पाटीदार और ठाकोर आंदोलनों का असर सिर्फ उत्तर गुजरात में ही देखा गया जहां से हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर ताल्लुक रखते हैं. जहां तक दक्षिण और  मध्य गुजरात का सवाल है तो वहां पाटीदारों और ठाकोरों ने बड़ी संख्या में बीजेपी को वोट दिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह गुजरात के आदिवासी इलाकों में पैठ बनाने के लिए कड़ी मेहनत करते रहे हैं. ये रणनीति बीजेपी के लिए बहुत कारगर रही है. गुजरात की 28 आदिवासी बहुत सीटों पर बीजेपी 17 सीटों पर बढ़त हासिल करती नजर आ रही है. वहीं कांग्रेस के खाते में 11 सीट जाने का ही अनुमान है.

बीजेपी के लिए ये चिंता की बात है कि युवा वोटरों पर उसकी पकड़ ढीली होती नजर आ रही है. अगर आयु वर्ग की बात की जाए तो सिर्फ 18 से 25 साल उम्र के बीच के वोटरों के समर्थन के मामले में ही कांग्रेस को बीजेपी पर बढ़त हासिल हुई है. इस आयु वर्ग में कांग्रेस को 45 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. वहीं बीजेपी को 1 फीसदी कम यानि 44% वोट शेयर मिलता नजर आ रहा है.

प्रतीत होता है कि गुजरात के तीन युवा तुर्कों के राहुल गांधी से हाथ मिलाने से युवा वोटरों पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ा. बीजेपी को सबसे ज्यादा समर्थन 60 से ज्यादा आयुवर्ग के वोटरों से मिलता दिख रहा है. इस आयु वर्ग में 51% वोटरों की पसंद बीजेपी रही है. वहीं 37% वोटरों ने कांग्रेस पर भरोसा जताया. ये देखना दिलचस्प है कि बड़ी उम्र के वोटरों में बीजेपी और कम उम्र के वोटरों में कांग्रेस बढ़त लेती दिखी. जैसे आयु-वर्ग ऊपर से नीचे होता गया वैसे ही दोनों पार्टियों का वोट अंतर भी सिकुड़ता गया.

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एग्जिट पोल से एक और संकेत सामने आया कि कांग्रेस को सबसे मजबूत समर्थन अशिक्षित वोटरों से मिला. यहां कांग्रेस को 47% वोट शेयर मिलने का अनुमान है. वहीं बीजेपी के समर्थन में 44% अशिक्षित वोटर ही दिखे. बीजेपी को सबसे ज्यादा समर्थन ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट वोटरों से मिला. उच्च शिक्षित वोटरों में 50 फीसदी बीजेपी के साथ खड़े नजर आ रहे हैं.

कांग्रेस के लिए, जिसे पहले गुजरात चुनावों की दौड़ में भी शामिल नहीं माना जाता था, एग्जिट पोल दिखा रहे हैं कि इस पार्टी ने अतीत के चुनावों की तुलना में कहीं अधिक दमदार प्रदर्शन किया है. हालांकि गुजरात के वोटर इन नतीजों से ये दिखाते नजर आ रहे हैं कि राहुल गांधी ने बेशक अपने कद को ऊंचा किया है लेकिन अब भी उनके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊंचाई से बराबरी करने के लिए दिल्ली बहुत दूर है और उन्हें अभी लंबा रास्ता तय करना है.  

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