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'कोई मर्डर नहीं किया, चुनाव लड़ने पर 8 साल की रोक ज्यादा', HC में राहुल गांधी की दलील

मोदी सरनेम मानहानि केस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अपील पर गुजरात हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. राहुल की अपील पर वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा और कोर्ट के सामने दलीलें दीं. उन्होंने कोर्ट के सामने कहा कि कोई गंभीर अपराध नहीं है, मैंने कोई हत्या नहीं की है. मैं इस लायक नहीं हूं.

मानहानि मामले में सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी पाया है और सजा सुनाई है. (फाइल फोटो) मानहानि मामले में सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी पाया है और सजा सुनाई है. (फाइल फोटो)
सृष्टि ओझा
  • अहमदाबाद,
  • 29 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

सूरत की सेशंस कोर्ट से राहत ना मिलने के बाद राहुल गांधी ने मोदी उपनाम के मामले में गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. राहुल की ओर से इस मामले की अर्जेंट सुनवाई के लिए अनुरोध किया गया था. याचिका पर शनिवार को HC में सुनवाई हुई. कोर्ट ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी को रिकॉर्ड पर दस्तावेज पेश करने के अनुरोध को स्वीकार लिया है. ऐसे में अब इस मामले में 2 मई को सुनवाई होगी.

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फिलहाल, 2 मई को सारे तथ्यों के साथ मामले को रखे जाने के संकेत हैं और 5 मई तक मामले में फैसला आने की संभावना जताई जा रही है. क्योंकि जज का कहना है कि वो 5 मई के बाद देश से बाहर जा रहे हैं.

क्या है कानूनी पहलू?

शनिवार को सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक मितेश अमीन ने कहा कि इस स्तर पर कोर्ट को सिर्फ मामले की गंभीरता को देखना है और मजिस्ट्रेट और सत्र न्यायालय दोनों ने पहले ही मामले की गंभीरता पर विचार कर लिया है. हालांकि अपराध गैर-संज्ञेय और जमानती है, लेकिन जिस क्षण फैसला सुनाया जाता है, वे पहलू नगण्य होते हैं. जहां तक ​​दोषसिद्धि पर रोक का विचार है, वह याचिकाकर्ता के लिए उपलब्ध नहीं है. यह ऐसा मामला नहीं है, जहां सजा पर रोक लगाई जा सके.

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'शिकायतकर्ता को ज्यादा वेटेज नहीं दिया जाना चाहिए'

वहीं, राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सजा पर रोक लगाई जाए या नहीं, इस पर फैसला कोर्ट और आरोपी के बीच का है. शिकायतकर्ता को इससे कोई लेना-देना नहीं है और अगर उनकी बात सुनी जाती है तो ज्यादा वेटेज नहीं दिया जाना चाहिए. 

'यह कोई गंभीर अपराध नहीं है'

सिंघवी ने कोर्ट में आगे कहा- अगर दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई गई तो मुझे उस अवधि के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया जाएगा, जो राजनीति में लगभग अर्ध-स्थायी है, यहां तक ​​कि राजनीति में एक सप्ताह भी लंबा समय है, यहां चुनाव लड़ने से 8 साल की रोक लग रही है. पूरा राजनीतिक करियर दांव पर लग जाएगा. यह कोई गंभीर अपराध नहीं है, मैंने कोई हत्या नहीं की है. मैं इस लायक नहीं हूं. कृपया ध्यान दिया जाए.

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क्यों हुई थी राहुल को सजा?

राहुल गांधी की ओर से 2019 में मोदी उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में 23 मार्च को सूरत की अदालत ने फैसला सुनाया था. कोर्ट ने उन्हें धारा 504 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी. हालांकि, कोर्ट से उन्हें अमल के लिए कुछ दिन की मोहलत मिली थी. इसके साथ ही उन्हें तुरंत जमानत भी मिल गई थी. राहुल ने सूरत की कोर्ट में याचिकाएं भी दाखिल की थीं, जिनमें एक को कोर्ट ने खारिज कर दिया था और दूसरी पर तीन मई को सुनवाई होनी है.

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2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?' इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. राहुल के बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था.

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शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? सूरत की कोर्ट ने मोदी उपनाम से जुड़ी टिप्पणी से जुड़े आपराधिक मानहानि के मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद राहुल ने गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

 

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