
गुजरात हाई कोर्ट ने साबरमती नदी के प्रदूषित पानी के संबंध में स्वत: संज्ञान लिया है. गुजरात हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा कि साबरमती नदी के प्रदूषित पानी पर गंभीरता से ध्यान देने और और तत्काल कार्रवाई की जरूरत है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह का प्रदूषित और दूषित पानी स्वीकार्य नहीं है. एडवोकेट हेमांग शाह ने साबरमती नदी के प्रदूषित पानी के बारे में गुजरात हाईकोर्ट को जानकारी दी. शाह ने कोर्ट में सैंपल भी दिया.
हेमांग शाह ने कहा कि पहले हम नदी के पानी का नमूने लेकर आए थे जिसके बाद इतना प्रदूषित पानी देखकर कोर्ट हैरान रह गया. बाद में हम नदी की रीडिंग लेकर आए और कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रदूषित पानी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
'प्रदूषित और दूषित पानी स्वीकार्य नहीं'
शाह ने कहा कि यह सिर्फ साबरमती की बात नहीं है, साबरमती का पानी अरब सागर तक पहुंचता है और अन्य नदियों को भी प्रभावित करता है. इसके अलावा साबरमती नदी में अवैध रूप से पाइपलाइनों के माध्यम से बहुत सारा गंदा पानी डाला जाता है. हमारी नदियों को साफ करने के बजाय और अधिक प्रदूषित किया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह का प्रदूषित और दूषित पानी स्वीकार्य नहीं है.
कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा है कि मामले को गंभीरता से लिया जाए और तुरंत कार्रवाई की जाए. मामले में अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी जहां सरकार प्रदूषण को रोकने के लिए उठाए गए आवश्यक कदमों के बारे में अदालत को जानकारी देगी.