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गुजरात में शराब पीने के परमिट के लिए सरकार ने बदले नियम-कानून

शराब परमिट रखने वाले लोगों को मेडिकल ग्राउंड पर क्या असलियत में शराब पीनी आवश्यक है या नहीं इसकी जांच अब सख्त कर दी गई है. इसके लिए रिज्योनल डिप्टी डायरेक्टर, मेडिकल सुपरिटेंडेंट और मेडिकल डीन के जरिए अनुमति दी जाएगी.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
मोनिका गुप्ता/गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 19 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 8:45 PM IST

गुजरात में शराब पीना कानूनी जुर्म है. इसके लिए सरकार हर साल नियम कानून को बदल कर सख्त से सख्त करने का दावा करती है. लेकिन गुजरात में पैसे वाले और नामी लोगों को शराब पीनी है तो उनके लिए कानूनी तौर पर शराब मिल सकती है. इसके लिए शराबबंदी विभाग ही अनुमति पत्र देता है.

पिछले पांच महीने से गुजरात में शराबबंदी को सख्त बनाने के नाम पर लिए गए अनुमति कार्ड बनाए गए हैं. उन्हें ना तो रिन्यू किया जा रहा है और ना ही नये निकाले जा रहे हैं.

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गुजरात विधानसभा में गृहमंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा के जरिए गुजरात में शराब पीने के परमिट के लिए सरकार ने कानुन में बदलाव का विधेयक पेश किया गया. इसमें बताया गया कि शराब अनुमति के लिए अब तक जहां 500 रुपये का चार्ज लगता है उसे बढ़ाकर 2000 किया गया है. इसमें कुल मिलकार 400 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. वहीं इसके लिए जो 50 रुपये का फॉर्म था उसे रद्द कर दिया गया है.

बता दें कि पहले हेल्थ ग्राउंड पर शराब परमिट लेने के लिए गुजरात के किसी भी सरकारी सिविल अस्पताल की रिपोर्ट के आधार पर मिल सकती थी. लेकिन अब सिर्फ गुजरात के 6 अस्पताल से अनुमति मिलेगी. इसमें अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, भावनगर, राजकोट और गांधीनगर शामिल हैं.

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