
गुजरात के मोरबी में रविवार की शाम को मच्छु नदी पर दर्दनाक हादसा हुआ था. इस हादसे में अभी तक 134 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि कई लोग घायल बताए जा रहे हैं. इस हादसे से ठीक पहले रौनक भी उस पुल पर गए थे. रौनक ने बताया कि मैं साढ़े चार से साढ़े पांच बजे तक वहां मौजूद था. इस दौरान पुल ज्यादा झूल नहीं रहा था.
रौनक ने बताया कि मैं करीब साढ़े चार बजे पुल पर जाने के लिए टिकट लेने पहुंचा था. उस वक्त वहां 100 लोग खड़े हुए थे. जबकि 120 के करीब लोग पुल पर थे. ये पुल कई महीनों के बाद खुला है. साथ ही रविवार होने की वजह से बहुत भीड़ थी. लोग परिवार के साथ वहां आ रहे थे. यह 150 साल पुराना पुल है. इसलिए इस ब्रिज को देखने का क्रेज ज्यादा है. यह पुल नदी से करीब 60 फुट ऊपर है.
केबल ब्रिज के किनारे करीब 50 लोग थे, जबकि कुछ लोग पुल की हरी जाली पकड़कर हिला रहे थे. जब उनसे ऐसा करने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि इसका नाम झूलता पुल है. इसलिए ऐसा कर रहे हैं. दरअसल, ये पुल पहले बहुत ज्यादा झूलता था, क्योंकि लकड़ी का था. लेकिन अब रेनोवेशन के बाद पुल भारी हो गया है. इस वजह से यह पहले की अपेक्षा कम झूलता है. वहां मौजूद लोगों की कोशिश थी कि पुल ज्यादा झूले.
रौनक ने बताया कि वह साढ़े पांच बजे के आसपास एग्जिट प्वाइंट पर पहुंचे थे. उस वक्त भी करीब 100 लोग टिकट के लिए खड़े हुए थे. उनमें अधिकतर बच्चे और महिलाएं शामिल थे. जबकि पुल पर करीब 170 लोग थे. रौनक के मुताबिक कुछ लोग जो वहां घूमने जाते हैं, वह अपनी गाड़ियों से उसी पुल के रास्ते से वापस भी लौटते हैं.
रौनक के मुताबिक जब इस घटना का पता चला तो मैंने अपने पिता को फोन लगाया और मैं रोने लगा. मैं डर गया था, क्योंकि मैं ये महसूस कर रहा था कि थोड़ी देर पहले मैं भी उसी जगह पर था, जहां ये हादसा हो गया.
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