
पाटीदार समाज के अग्रणी नेता नरेश पटेल ने राजनीति में न आने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि अब वे पॉलिटिक्स में नहीं आएंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि खोडलधाम मे राजनीति की शिक्षा जरूर शुरु की जाएगी. पटेल ने फरवरी में राजनीति में जुड़ने की इच्छा व्यक्त की थी.
बता दें कि नरेश पटेल पाटीदारों की कुलदेवी के संस्थान खोडलधाम के अध्यक्ष हैं. उन्होंने गुरुवार को कहा कि खोडलधाम संस्थान ने जो सर्वे किया था, उसें बुजुर्गों ने उन्हें राजनीति से जुड़ने से मना किया है.
महिलाओं-युवाओं ने की राजनीति में आने की वकालत
नरेश पटेल ने यह भी कहा है कि युवाओं और महिलाओं ने उनके पॉलिटिक्स में आने की वकालत की है. लेकिन उन्होंने अंत में यह फैसला किया है कि वे राजनीति में नहीं आएंगे. सौराष्ट्र की राजनीति में नरेश पटेल को किंग मेकर की भूमिका में देखा जाता है.
60 से ज्यादा सीटों पर पाटीदारों का प्रभाव
गुजरात में 22 फीसदी पाटीदार वोट हैं. पाटीदार समाज गुजरात की 60 से ज्यादा सीटों पर अपना प्रभाव रखता है. पाटीदार बीजेपी को 2017 में दिखा चुके हैं कि अगर पाटीदार बीजेपी के साथ नहीं आते हैं तो 100 सीट भी पार करना मुश्किल है.
नरेश पटेल का फैसला कांग्रेस के लिए झटका
गुजरात की राजनीति पाटीदारों का अपना महत्व है. नरेश पटले के राजनीति में ना आने के फैसले को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. कांग्रेस को उम्मीद थी की नरेश पटेल के राजनीति में आने का सबसे बड़ा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
(रिपोर्ट: राजकोट से नीलेश शींशागिया)