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गुजरात दंगे के इस मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को बताया निर्दोष, हुए बरी

गुजरात दंगे के एक मामले में सेशन्स कोर्ट ने सभी आरोपियों को निर्दोष बता दिया है और वो सभी जेल से बरी हो गए हैं. पुलिस द्वारा कुल 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था. लेकिन अब 14 जेल से बाहर आ गए हैं. वहीं जो आठ बचे उनका निधन हो चुका है.

गुजरात दंगे के इस मामले में सभी आरोपी बरी गुजरात दंगे के इस मामले में सभी आरोपी बरी
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 24 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:46 PM IST

2002 के गुजरात दंगे के दौरान पंचमहल में देलोल हत्याकांड हुआ था जहां पर 6 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. उस केस में 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था. अब उन 22 लोगों में से 14 को सेशन्स कोर्ट ने निर्दोष बता दिया है और सभी को बरी किया गया है. वहीं इन 22 लोगों में से आठ तो ऐसे हैं जिनकी सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई. यानी कि अब सभी आरोपी इस मामले में बरी हो चुके हैं. 

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जानकारी के लिए बता दें कि जब गुजरात में साल 2002 में दंगे हुए थे, तब देलोल में भीड़ ने 6 लोगों की हत्या कर दी थी. तब पुलिस चार्जशीट में कुल 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था. कई साल तक ये आरोपी जेल में भी रहे. लेकिन अब 18 साल बाद उन्हें कोर्ट ने निर्दोष बता दिया है. किस आधार पर कोर्ट ने उन्हें निर्दोष कहा है, अभी तक ये स्पष्ट नहीं. लेकिन सभी आरोपी अब जल्द ही जेल से रिहा हो जाएंगे. 

अब बिलकिस बानो वाले मामले में भी सजा पूरी होने से पहले ही आरोपियों को छोड़ दिया गया था. असल में सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. अब जिन आरोपियों को पूरी जिंदगी जेल में रहना था, वो 15 साल के भीतर ही जेल से बाहर आ गए थे. असल में रीमिशन पॉलिसी की वजह से सभी आरोपी समय से पहले जेल से बाहर निकल गए थे. रीमिशन पॉलिसी का सरल भाषा में मतलब सिर्फ इतना रहता है कि किसी दोषी की सजा की अवधि को कम कर दिया जाए. बस ध्यान इस बात का रखना होता है कि सजा का नेचर नहीं बदलना है, सिर्फ अवधि कम की जा सकती है. वहीं अगर दोषी रीमिशन पॉलिसी के नियमों का सही तरीके से पालन नहीं करता है, तो ये जो छूट उसे दी जा सकती है, वो उससे वंचित रह जाता है और फिर उसे पूरी सजा ही काटनी पड़ती है.

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