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गुजरात: रुपाणी के इस्तीफे के बाद अगला सीएम कौन, किन चुनौतियों के लिए रहना होगा तैयार?

यहां पर सिर्फ अब सीएम बदलने तक की बात नहीं है, बल्कि कौन बीजेपी की गुजरात में फिर वापसी करवा सकता है, ये भी बड़ा पहलू है. पार्टी भी अभी इसी पर मंथन कर रही है. ऐसे में गुजरात का जो भी नया मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, उसके सामने कई चुनौतियां खड़ी होने वाली हैं.

रुपाणी के इस्तीफे के बाद बीजेपी के लिए कई चुनौतियां रुपाणी के इस्तीफे के बाद बीजेपी के लिए कई चुनौतियां
सुधांशु माहेश्वरी
  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:32 PM IST
  • रुपाणी के इस्तीफे के बाद नए सीएम पर चर्चा
  • चुनौतियां बेशुमार, चुनाव पर नजर
  • पाटीदार समुदाय को फिर साधना जरूरी

गुजरात बीजेपी में विधानसभा चुनाव से पहले सबसे बड़ा उलटफेर हो गया है. सीएम विजय रुपाणी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उत्तराखंड, कर्नाटक के बाद गुजरात में भी चुनाव से पहले बीजेपी ने नेतृत्व परिवर्तन कर दिया है. ऐसे में अब सवाल है कि गुजरात का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?

रुपाणी का इस्तीफा, नया सीएम कौन? 

बीजेपी खेमे में अभी चार से पांच नाम ऐसे हैं जिनको लेकर कहा जा रहा है कि वे गुजरात की सत्ता संभाल सकते हैं. इसमें उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के नाम पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. मुहर तो किसी नाम पर नहीं लगी है लेकिन मंडाविया को इस रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है. इन नामों के अलावा गोरधन जडाफिया और सीआर पाटिल के नाम पर भी चर्चा जारी है. अब विधायक दल की बैठक के बाद ही किसी नाम पर मुहर संभव है.

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लेकिन यहां पर सिर्फ अब सीएम बदलने तक की बात नहीं है, बल्कि कौन बीजेपी की गुजरात में फिर वापसी करवा सकता है, ये भी बड़ा पहलू है. पार्टी भी अभी इसी पर मंथन कर रही है. ऐसे में गुजरात का जो भी नया मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, उसके सामने कई चुनौतियां खड़ी होने वाली हैं.

चुनौती नंबर 1- विधानसभा चुनाव

सबसे बड़ी चुनौती तो गुजरात विधानसभा चुनाव की ही है. अगले साल होने वाले चुनाव में बीजेपी को इस बार दोनों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्कर मिलने वाली है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गुजरात में सरकार जरूर बनाई थी, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन भी अच्छा रहा था. इसी वजह से बीजेपी 99 सीटों पर अटक गई. ऐसे में उस प्रदर्शन को कैसे बेहतर किया जाए, कार्यकर्ताओं के अंदर फिर नई उर्जा का कैसे संचार किया जाए, ये काम नए मुख्यमंत्री को कम समय में करना होगा.

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चुनौती नंबर 2- कोरोना मिस-मैनेजमेंट

ऐसा कहा गया है कि विजय रुपाणी के इस्तीफे के पीछे एक वजह कोरोना काल में हुई मिसमैनेजमेंट भी है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई मौकों पर हाई कोर्ट द्वारा गुजरात सरकार को फटकार लगाई गई थी. कोरोना से हुईं मौतों के सही आंकड़ों को लेकर भी विवाद था. इस वजह से सीएम रुपाणी के काम से कई लोग नाखुश थे. अब जब तीसरी लहर आने की संभावना है, इस बीच नए मुख्यमंत्री को फिर गुजरात की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को पटरी पर लाना होगा. लोगों में कोरोना काल के दौरान पैदा हुई नाराजगी को दूर करना भी बड़ी चुनौती साबित होगी.

चुनौती नंबर 3- करिश्माई नेता बनने की जरूरत  

गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कर्मभूमि रही है. उनके नेतृत्व में बीजेपी का इस राज्य में जबरदस्त विस्तार भी हुआ और खुद मोदी भी तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. ऐसे में अब बीजेपी को गुजरात जैसे राज्य के लिए एक और करिश्माई नेता की जरूरत आ पड़ी है. आनंदीबेन पटेल और विजय रुपाणी ने भी काम जरूर किया, लेकिन वो करिश्माई नेतृत्व नदारद रहा. ऐसे में जो भी नया मुख्यमंत्री बनेगा, उसे ना सिर्फ जनता से अपना संवाद सुधारना होगा बल्कि खुद को इतना लोकप्रिय करना होगा कि आने वाले चुनाव में उनके चेहरे पर भी पार्टी को वोट पड़ सकें.

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चुनौती नंबर 4- पाटीदार समुदाय को खुश करना

राजनीतिक समीकरण के लिहाज से भी नए मुख्यमंत्री के सामने कई चुनौतियां पेश होने वाली हैं. अगर कोरोना मिसमैनेजमेंट को ठीक कर दिया जाए, कार्यकर्ताओं में जोश भी भर दिया जाए, लेकिन फिर भी एक मुद्दा ऐसा है जो चुनावी नतीजों को भी बदल सकता है और बीजेपी को भारी नुकसान पहुंचाने की ताकत रखता है- पाटीदार समुदाय. पाटीदार  आंदोलन ने 2017 के चुनाव में बीजेपी की जीत को काफी संघर्षपूर्ण बना दिया था. सौराष्ट्र इलाके में तो पार्टी का एक तरीके से सूपड़ा साफ दिखा था. ऐसे में आने वाले चुनाव में बीजेपी फिर इस समुदाय को नाराज नहीं कर सकती है. इसलिए जो भी अब राज्य की कमान संभालेगा, इस समुदाय को ठीक तरीके से साधना जरूरी रहेगा.

 

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