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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुजरात एंटी टेरर बिल को लौटा दिया है. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी विवादों में घिरे गुजरात कंट्रोल ऑफ टेररिज्म एंड ऑर्गनाइज्ड क्राइम (जीसीटीओसी)-2015 को वापस कर दिया. मंत्रालय ने इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति सचिवालय भेजा था. वापसी के साथ ही कानून बनने के करीब समझा जा रहा यह बिल फिर से अटक गया है.
पथरीली रही है बिल की राह
गुजरात विधानसभा से पारित इस बिल को यूपीए सरकार भी पहले तीन बार ठुकरा चुकी है. साल 2001 में गुजरात विधानसभा ने इस बिल को पारित किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री थे. आतंकवाद और संगठित अपराधों को सख्ती से रोकने की वकालत करने वाले इस बिल के कई प्रावधानों पर यूपीए सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई थी.
गृहमंत्री चाहते थे पास हो बिल
केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बिल को सितंबर 2014 के आखिरी हफ्ते में हरी झंडी दे दी थी. इसके बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति सचिवालय को भेजा गया था. उस दौरान इसमें कई जरूरी सुधार भी सुझाए गए थे. बिल के बारे में गृहमंत्री राजनाथ सिंह का मानना था कि आतंकवाद और संगठित अपराधों से लड़ने के लिए गुजरात सरकार की ताकत बढ़नी चाहिए.