
गुजरात के राजकोट टीआरपी गेम जोन अग्निकांड मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान हाईकोर्ट ने राजकोट नगर निगम और आयुक्त को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा, "अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुपालन की बात करने की बजाए आपने क्या किया? वह रिपोर्ट क्यों कर रहे हैं, कोर्ट के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं हुआ ये बताए?"
कोर्ट ने आगे कहा, "अपने काम और मॉनिटरिंग मे लापरवाही के बाद भी आप दोषी नहीं हैं एसा ऐफिडेविट क्यों किया गया? अपने काम मे गलती होने का स्वीकार करने और शुद्ध हृदय से माफी मांगने के बजाय, कोई गलती नहीं है एसा हलफनामा पढ़ना है तो फिर अदालत जो निष्कर्ष देगी उसके लिए तैयार रहें."
कोर्ट ने राजकोट नगर निगम से हलफनामा लेने से इनकार कर दिया. इसके बाद नगर निगम की ओर से दाखिल हलफनामा वापस ले लिया गया. हाइकोर्ट ने आदेश के अनुपालन के लिए उठाए गए कदमों और अग्निकांड में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा देने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में नए एफिडेविट के साथ आने को कहा है. आगे की सुनवाई 27 सितंबर को होगी.
आग हादसे में 27 लोगों की गई थी जान
राजकोट के TRP गेम जोन में हुए इस भयानक हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. इस घटना में 27 लोगों की मौत हुई थी. इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच की SIT द्वारा की जा रही थी. इस केस में 16 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, जिसमें गेम जोन के मालिकों और राजकोट महानगर निगम में अधिकारी शामिल थे. बता दें कि गेम जोन के एक मालिक प्रकाश जैन की भी इस अग्निकांड में मौत हो गई थी.
365 गवाहों के बयान दर्ज
इस केस में 365 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं. साक्ष्यों के साथ लगभग 1 लाख पन्नों की यह चार्जशीट राजकोट की अदालत में दाखिल की गई है. यह केस सरकार की मंजूरी के बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रांसफर किए जाने की तैयारी है.पुलिस की चार्जशीट के मुताबिक आरोपियों को 10 साल तक की सजा हो सकती है.
3 से 4 मिनट में विकराल हुई थी आग
डीसीपी क्राइम पार्थराज सिंह गोहिल के मुताबिक, जांच के दौरान पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज भी जब्त कर लिया है. प्रत्यक्षदर्शियों और गेमजोन में काम करने वाले लोगों के बयान भी दर्ज किए गए हैं. जिसके बाद सामने आया है कि आग लगने के तीन से चार मिनट के अंदर ही आग ने भीषण रूप धारण कर लिया था. जिस क्षेत्र में वेल्डिंग की गई थी, उसके नीचे और आसपास बड़ी मात्रा में रासायनिक फॉर्म शीट का उपयोग किया गया था. साथ ही निर्माण सामग्री में लकड़ी का भी प्रयोग किया गया. जिससे आग आसानी से फैल गई.