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गुजरात में चुनाव खत्म होते ही धड़ाम हुए मूंगफली के दाम, आक्रोशित किसानों का प्रदर्शन

असल में चुनाव की घोषणा से पहले विजय रूपाणी सरकार ने मूंगफली की न्यूनतम कीमत 900 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल तय की थी, लेकिन चुनाव के नतीजों के बाद इसकी कीमत 400 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गए हैं.

मुंगफली के भाव घटने से किसानों को परेशानी मुंगफली के भाव घटने से किसानों को परेशानी
गोपी घांघर/दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

गुजरात के जामनगर इलाके में मूंगफली के दाम अब तक के सबसे निचले स्तर पर 400 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गए हैं, जिससे आक्रोशित किसानों को विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा है. चुनाव के बाद उत्पन्न हुए इस हालात पर राजनीति भी शुरू हो गई है.

असल में चुनाव की घोषणा से पहले विजय रूपाणी सरकार ने मूंगफली की न्यूनतम कीमत 900 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल तय की थी, लेकिन चुनाव के नतीजों के बाद इसकी कीमत 400 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गए हैं. इस पर किसानों ने कड़ा विरोध जताया है. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी इस मसले पर ट्वीट करते हुए कहा कि गुजरात में आज किसानों को सुनने वाला कोई नहीं.

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जामनगर का जामखंभालिया मार्केट यार्ड किसानों की पूरे साल की कमाई माने जाने वाली मूंगफलियों से भरा पड़ा है. किसानों ने जिस मूंगफली को उपजाने के लिए कम से कम छह महीने लगा दिए, उसे आज खरीदने वाला कोई नहीं है. किसान इससे काफी दुखी हैं. किसानों को लागत भी नहीं मिल पा रही. हालत यह है कि किसान अगर ट्रक से भरकर मूंगफली ला रहे हैं, तो उनका ट्रक का भी खर्च निकलने वाला नहीं है. दाम इतने कम हो जाने की जब मार्केट यार्ड में घोषणा की गई तो किसानों ने प्रदर्शन कर इस पर विरोध जताया.

चुनाव से पहले 900 से 1200 प्रति क्विंटल और चुनाव के बाद विजय रूपाणी के नाम की सीएम के रूप में घोषणा होने पर दाम 400 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक आने पर राजनीति होनी ही थी. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने इसे लेकर ट्वीट किया. उन्होंने कहा कि किसान काफी परेशान है, लेकिन राज्य में उनकी कोई सुनने वाला नहीं. उन्होंने कहा, 'चुनाव ख़त्म होते ही मूंगफली के दाम कम कर दिए गए, किसान काफ़ी दुखी है लेकिन उनकी सुनने वाला बीजेपी सरकार में कोई नहीं हैं. APMC मार्केट में किसानों की मूंगफली कोई ख़रीद नहीं रहा. किसान ट्रांसपोर्टिंग के ख़र्चे से काफ़ी दुखी है. किसानों के लिए बना किसान संघ कहीं सामने नहीं दिख रहा.

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