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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पहुंचे भूटान के राजा और प्रधानमंत्री, गरबा से हुआ मेहमानों का स्वागत

भूटान के महामहिम राजा के साथ एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को एकतानगर पहुंचा. पारंपरिक भूटानी पोशाक पहने विदेशी गणमान्य व्यक्तियों का स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में स्वागत किया गया. अतिथियों का स्वागत गुजरात की पहचान सामा गरबा की प्रस्तुति से किया गया. यहां सर्वे में वॉल ऑफ यूनिटी के बारे में जानकारी दी गई.

भूटान के राजा और प्रधानमंत्री पहुंचे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भूटान के राजा और प्रधानमंत्री पहुंचे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
ब्रिजेश दोशी
  • गांधीनगर,
  • 22 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे के लिए सोमवार को 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का दौरा यादगार रहने वाला है. भारत के पड़ोसी देश भूटान के ये दोनों राष्ट्राध्यक्ष एकतानगर में बनी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को देखकर हैरान रह गए.

गुजरात परंपरा से हुआ स्वागत

भूटान के महामहिम राजा के साथ एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को एकतानगर पहुंचा. पारंपरिक भूटानी पोशाक पहने विदेशी गणमान्य व्यक्तियों का स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में स्वागत किया गया. अतिथियों का स्वागत गुजरात की पहचान सामा गरबा की प्रस्तुति से किया गया. यहां सर्वे में वॉल ऑफ यूनिटी के बारे में जानकारी दी गई.

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दर्शक दीर्घा से देखा सरोवर बांध का नजारा

बाद में परिसर के अंदर प्रदर्शनियों का अवलोकन किया गया. यहां गाइड ने भारत की स्वतंत्रता की गाथा और उसके बाद भारत की एकता में लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान का मार्मिक विवरण प्रस्तुत किया. भूटान के राजा और प्रधानमंत्री दर्शक दीर्घा में पहुंचे, जहां से गणमान्य व्यक्तियों ने बारिश के मौसम के बीच सरदार सरोवर बांध का नजारा देखा.

सरदार सरोवर बांध का भी किया दौरा

यहां गणमान्य व्यक्तियों को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण के पीछे की पृष्ठभूमि के बारे में बताया गया. बाद में, राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने विजिटिंग बुक में अपना मैसेज लिखा, जिसमें उन्होंने खूबसूरत अक्षरों में लिखा, 'भारत को शुभकामनाएं और स्मरण.'

भूटान के इस सर्वोच्च प्रतिनिधिमंडल ने बाद में सरदार सरोवर बांध का भी दौरा किया. यहां सरदार झील के कारण गुजरात राज्य में पानी की समस्या के समाधान का विवरण दिया गया. इसके बाद मानसर में राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री शेरिंग टोबैगी को विदाई दी गई.

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