
गुजरात के भुज में दो साल पहले गरीब परिवार में जन्मे एक बच्चे को उसके मां-बाप ने ठुकरा दिया था. जन्म के बाद उसे महिला कल्याण केंद्र संचालित अनाथालय को सौंप दिया था. यहां उसका नाम 'प्रेरक' रखा गया. थोड़े दिनों बाद अनाथालय के कार्यवाहक को पता चला कि बच्चे के दिल में छेद और हर्निया रोग है. इस पर उसे इलाज के लिए आंनद जिले के करमसद के अस्पताल में भेज दिया. यहां उसका इलाज सफल रहा है और वो स्वस्थ हो गया.
अमेरिका में रहने वाले दंपति ने गोद लिया
मां-बाप द्वारा ठुकराए गए बच्चे की किस्मत उस वक्त खुल गई, जब NASA में इंजीनियर नवीन ट्वेचा और उनकी पत्नी डॉक्टर सिंधु लक्कुर ने उसे गोद लेने का फैसला किया. सिंधु एक अमेरिकी विश्वविद्यालय में रेजिडेंट डॉक्टर हैं और पिछले कई महीनों से भारत में एक बच्चे को गोद लेने के लिए प्रयास कर रही थीं.
भावुक हो गईं महिला कल्याण केंद्र की महिलाएं
इसी क्रम में उन्होंने भुज के अनाथालय से 'प्रेरक' को अडॉप्ट करने का फैसला लिया. इसके बाद दंपति द्वारा अडॉप्शन की सभी प्रक्रियाएं भी पूरी कर ली गईं. गुरुवार को कच्छ के महिला कल्याण केंद्र में मासूम बच्चे को कलेक्टर अमित अरोड़ा के हाथों दंपति को सौंप दिया गया. इस दौरान कच्छ महिला कल्याण केंद्र की महिलाएं भावुक हो गईं.
'प्रेरक' का अमेरिका में नया नाम 'प्रिंस' होगा
प्रेरक को गोद लेने वाले दंपति ने बताया कि शब्दों में अपनी खुशी बयां नहीं कर पा रहे हैं. अब प्रेरक के माता-पिता के रूप में अमेरिका में नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रहें हैं. वहां प्रेरक का नया नाम प्रिंस होगा.