
गुजरात के भुज में जैन परिवार के चार लोगों ने दीक्षा लेकर संन्यासी जीवन की राह पकड़ी है. परिवार ने अपनी करोड़ों की संपत्ति दान कर दी और संयम का मार्ग अपना लिया. बता दें कि गुजरात में इससे पहले भी कई लोगों ने इसी तरह सुख-सुविधाओं का परित्याग कर संन्यास की राह पर चलने का फैसला किया है.
जानकारी के अनुसार, अजरामर संप्रदाय के छह कोटि स्थानकवासी जैन संघ और वागड़ के दो चोविसी जैन समाज के एक परिवार के सभी सदस्यों ने जैन समुदाय के भागवती दीक्षा प्राप्त करने वाले पहले थे. कपड़ों के होलसेल व्यापारी परिवार अपनी करोड़ों की संपत्ति दान कर तपस्या की राह पर चल पड़ा है.
भुज की पूर्वी बेन मेहता ने अपने संप्रदाय की गुरु मैया के आशीर्वाद से दीक्षा लेने का फैसला किया. उनका यह संन्यासी जीवन देखकर घर के अन्य सदस्य उनसे प्रभावित हुए और उनके पति पीयूष मेहता और दंपति के साथ 11वीं और 12वीं कॉमर्स में पढ़ रहे बेटे मेघकुमार और भांजे कृष ने भी संन्यास के रास्ते पर चलने का फैसला किया.
बेहद कठिन मानी जाती है भागवती दीक्षा
जैन समाज की भागवती दीक्षा बहुत कठिन मानी जाती है. इसमें पांच महाव्रतों का पालन, ब्रह्मचर्य, अचौर्य और पैदल यात्रा करनी होती है. इसलिए तपस्वियों को जीवनभर बिना बिजली उपकरण का उपयोग किए, बिना रुपयों के कठोर तपस्या की राह पर चलना पड़ता है. तपस्या के इस मार्ग पर चलने से पहले तपस्वियों को अपनी पूरी संपत्ति दान करनी पड़ती है.
दीक्षार्थी पीयूष भाई भुज में ही कपड़े का होलसेल बिजनेस चला रहे थे. सालाना करीब एक करोड़ रुपए का कारोबार करने वाले पीयूष भाई और उनके परिवार ने अपनी करोड़ों की संपत्ति का परित्याग कर दिया और सांसारिक सुखों को त्याग कर संयम का मार्ग अपना लिया.