
राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के साथ बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी का वो संकल्प पूरा होने जा रहा है जिसके लिए उन्होंने तीन दशक पूर्व सितंबर 1990 में सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए रथ-यात्रा शुरू की थी. उस वक्त आडवाणी 62 वर्ष के थे, आज 92 के हैं. आडवाणी की उस यात्रा को अयोध्या पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया था, लेकिन इसने राम मंदिर के पक्ष में भावना जगाने में अहम भूमिका निभाई. साथ ही देश की राजनीति में बीजेपी को मजबूत स्थिति में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई.
रथ यात्रा के उस दौर में ‘बच्चा बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का’ जैसे नारे बहुत गूंजते थे. 25 सितंबर 1990 को आडवाणी ने सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की, और 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था. लेकिन उससे पहले ही 23 अक्टूबर को आडवाणी को समस्तीपुर में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद भारत की राजनीति में भूचाल आ गया था. बीजेपी ने तब केंद्र में सत्तारूढ़ वीपी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया, क्योंकि उसमें लालू प्रसाद यादव भी साझीदार थे.
सोमनाथ मंदिर, जहां से आडवाणी ने संकल्प लिया, उसके प्रमुख पुजारी नानू प्रचक को 25 सितंबर 1990 का दिन आज भी अच्छी तरह याद है. प्रचक बताते हैं, “25 सितंबर 1990 को राम मंदिर का संकल्प लेने लाल कृष्ण आडवाणी सोमनाथ आए हैं, इस खबर को सुनकर सुबह से ही सोमनाथ मंदिर परिसर के बाहर हजारों लोग इकट्ठा हो गए थे. ‘जय श्री राम’ और ‘जय सोमनाथ’ के नारों से गूंज रहा था. यात्रा के सोमनाथ से शुरू होने वाले चरण के संयोजन की जिम्मेदारी तब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास थी. (पूरी यात्रा के संयोजक बीजेपी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन थे). मोदी उस दिन सोमनाथ परिसर के अंदर मेहमानों की सुविधाओं की व्यवस्था करने के लिए काम कर रहे थे.”
आडवाणी ने इस यात्रा को सोमनाथ से अयोध्या तक भगवान राम के नाम पर देश को एकजुट करने की यात्रा बताया था. 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन प्रधानमंत्री मोदी के हाथों होने जा रहा है तो आडवाणी को तीन दशक पहले पूजा करवाने वाले शास्त्री नानू प्रचक आशीर्वाद दे रहे हैं कि अयोध्या में सोमनाथ से भी भव्य मंदिर बने.
सोमनाथ ट्रस्ट के ट्रस्टी जेडी परमार को भी 25 सितंबर 1990 का दिन अच्छी तरह याद है. परमार तब भी ट्रस्टी के तौर पर सोमनाथ मंदिर परिसर में मौजूद थे. उनका कहना है कि तब सोमनाथ मंदिर के बाहर इतनी बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए थे कि अंतिम समय में दिग्विजय द्वार से रथयात्रा शुरू करने का फैसला किया गया.”
परमार के मुताबिक सोमनाथ मंदिर प्राचीन काल से संकल्प की भूमि रहा है. सोमनाथ मंदिर के दोबारा निर्माण का सरदार पटेल का संकल्प भी यहां पूरा हुआ और अयोध्या में राम मंदिर बनाने का आडवाणी का संकल्प भी यहीं से राम यज्ञ के साथ शुरू हुआ था.
परमार का कहना है कि उस दिन रथयात्रा के लिए निकले आडवाणी की झलक देखने के लिए सड़क के किनारे भी हजारों लोग मौजूद थे. मंदिर के निर्माण के लिए समर्थन दिखाने के लिए मंत्र और नारों के साथ सब कुछ गूंज रहा था. यही स्थिति तब हर उस शहर में दिखाई दे रही थी, जहां से भी ये रथयात्रा गुजर रही थी. राम धुनों के रथयात्रा अपना हर पड़ाव पार कर रही थी. तब ‘राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे’ जैसे नारे भी खूब सुनने को मिलते थे.
बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी जाएगी तो आडवाणी वहां मौजूद नहीं होंगे. कोरोना महामारी को देखते हुए कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल के मुताबिक अधिक उम्र के लोगों को घरों में ही रहने की हिदायत है.
आडवाणी के मुताबिक राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान साल 1990 में नियति ने उन्हें सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा के रूप में एक पवित्र जिम्मेदारी निभाने का मौका दिया था. उन्होंने कहा कि इस यात्रा ने इसमें शामिल हुए असंख्य प्रतिभागियों की आकांक्षाओं, ऊर्जा और जुनून को शांत करने में मदद की थी.
मंगलवार को आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा को याद करते हुए कहा कि ये सभी भारतीयों के लिए ऐतिहासिक और भावपूर्ण दिन है. आडवाणी ने एक बयान में कहा कि भारत के सौहार्दपूर्ण राष्ट्र के तौर पर राम मंदिर प्रतिनिधित्व करेगा, जहां सबके लिए न्याय होगा.