
देश एक ओर अपनी आजादी का 72वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है तो दूसरी ओर आजादी के सूत्रधारों में अहम स्तंभ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पौत्रवधू डॉक्टर शिवा लक्ष्मी गांधी सूरत में एकाकी जिंदगी जीने को मजबूर हैं और पटेल परिवार उनका भरण पोषण कर रहा है.
शिवा लक्ष्मी गांधी अपने पति कनुभाई गांधी के गुजर जाने के बाद अब अकेले ही रहने को मजबूर हैं. शिवा लक्ष्मी की कोई संतान नहीं है. कुछ दिन पहले तक वह दिल्ली में रहती थीं, लेकिन पिछले तीन महीने से वह सूरत के भीमराड गांव में रह रही हैं और एक पटेल परिवार पर आश्रित हैं.
ये वही भीमराड गांव है जहां दांडी यात्रा के दौरान महात्मा गांधी ने 1930 में एक मुट्ठी नमक उठाकर अंग्रेजों के नमक कानून को तोड़ा था, उसी गांव के लोग आज उनकी पौत्रवधू डॉक्टर शिवा लक्ष्मी की पिछले तीन महीने से सेवा कर रहे हैं.
गांववाले भी रखते हैं ख्याल
भीमराड गांव में स्थित एक अपार्टमेंट के एक फ्लैट में उनके रहने की व्यवस्था की गई है. यहां उनके खाने-पीने का पूरा ख्याल रखा जाता है. 90 वर्षीय शिवा लक्ष्मी अपने ससुर महात्मा गांधी की यादों से जुड़े इस गांव में आकर बहुत खुश हैं. वह ठोस आहार नहीं खातीं इसलिए गांव वाले उन्हें फलों का जूस, हरी सब्जियों का सूप, दही-कढ़ी आदि खिलाते हैं.
करीब 56 साल अमेरिका में बिताने वाली शिवा लक्ष्मी को सुबह कसरत करने की आदत थी, लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर यह छूट गई है. महात्मा गांधी की पौत्रवधू को किसी चीज की तकलीफ न हो, इसलिए एक सेवाधारी लड़की को 24 घंटे उनके पास रखा गया हैं जो उनकी हर जरूरत का ख्याल रखती है.
भीमराड गांव में रहने वाले बलवंत भाई पटेल और उनके परिवार की सेवा भावना से शिवा लक्ष्मी बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि उन्हें पटेल परिवार ने एक पारिवारिक सदस्य की तरह रखा है.
सूरत से पहले दिल्ली में रहती थीं लक्ष्मी
गांव के निवासी बलवंत पटेल ने शिवा लक्ष्मी के रहने के लिए एक हवादार घर की व्यवस्था कराई है. उनके कमरे के एक साइड की खिड़की तालाब की तरफ और दूसरी मैदान की खुलती है. बलवंत तीन महीने से उनके कमरे के बगल वाले कमरे में सोते हैं, ताकि रात में अगर उन्हें किसी तरह की जरूरत पड़े तो वह तत्काल हाजिर हो जाएं. वह हर रोज शाम छह बजे ही उनकी सेवा करने पहुंच जाते हैं.
शिवा लक्ष्मी को कोई तकलीफ ना हो इसके लिए कमरे में एसी, पंखा, सोफासेट और उनकी सुख-सुविधा की हर चीज उपलब्ध करवाई गई है. उनने कमरे में पुरानी यादों से जुड़े फोटोग्राफ भी रखे गए हैं.
56 साल तक अमेरिका में रहने के बाद चार साल पहले ही अपने पति कनुभाई गांधी के साथ भारत आईं थी. लेकिन 2 साल पहले पति कनुभाई गांधी का देहांत सूरत में ही 8 नवंबर 2016 को हो गया तबसे वो अकेली ही रह रही हैं. सूरत आने से पहले वो दिल्ली में रहती थीं जहां से उन्होंने सूरत आने की इच्छा जाहिर की थी तो वो फिर यहीं पर आ गईं.
ऐतिहासिक स्मारक भूमि घोषित करने की मांग
इसी भीमराड गांव में ही 9 अप्रैल 1930 को गांधी ने 10 हजार लोगों की मौजूदगी में एक जनसभा की थी. इस दौरान महात्मा गांधी के पौत्र कनुभाई छोटे थे और दांडी मार्च के दौरान गांधी के साथ समुद्र के किनारे की एक फोटो बेहद लोकप्रिय हुई थी.
शिवा लक्ष्मी ने भी अपने पिता के साथ नमक सत्याग्रह में भाग लिया था, गांधी अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी के दांडी गांव के लिए पैदल रवाना हुए थे. 6 अप्रैल 1930 को उन्होंने दांडी पहुंचकर जनसभा की थी.
उसके बाद वह भीमराड की बड़ी जनसभा में पहुंचे थे. वहां पहले से देश-विदेश की मीडिया मौजूद थी. यहीं पर गांधीजी की जमीन से नमक उठाने की फोटो खींची गई जो पूरे विश्व के अखबारों में छपी थी.
राष्ट्रपिता और आजादी के लिहाज से इस भीमराड गांव की अपनी अहमियत है और गांव वाले इसे ऐतिहासिक स्मारक भूमि घोषित करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं और यह राज्य सरकार में विचाराधीन है.