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हाइट- 3 फीट, वजन-18 किलो... छोटा कद और बड़े हौसले वाले गणेश के डॉक्टर बनने की कहानी

गुजरात के गणेश बरैया मेडिकल एंट्रेंस की परीक्षा पास करके 2018 में जब दाखिला लेने गए तो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को विश्वास ही नहीं हुआ कि वह डॉक्टर बनने में सक्षम हैं, क्योंकि उनकी लंबाई मात्र तीन फीट है. एमसीआई ने उन्हें दाखिला देने से इनकार कर दिया. गणेश को तो दुनिया ही अंधेरी ही लगनी लगी थी. इसके बाद शुरू हुआ उनका संघर्ष.

बड़े हौसले वाले डॉक्टर गणेश बड़े हौसले वाले डॉक्टर गणेश
aajtak.in
  • भावनगर,
  • 06 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 12:50 PM IST

हाइट- 3 फीट, वजन-18 किलो..., किसी स्टूडेंट का ये फीचर भारत जैसे देश में उसकी निजी तरक्की में बाधाओं का पहाड़ खड़ा कर देता है. लेकिन गणेश बरैया वो नाम है जिन्होंने मुश्किलों के इस पहाड़ को हौसलों के दम पर लांध दिया और वहां पहुंचे जहां पहुंचना भारत के लाखों छात्रों का सपना होता है. 

पहले तो गणेश बरैया ने कठिन परिश्रम कर तमाम चुनौतियों से जूझते हु्ए मेडिकल प्रवेश की परीक्षा पास की. गणेश की इस सफलता पर सात बहनों और 2 भाई बाला गणेश का परिवार खुश तो बहुत हुआ लेकिन सरकारी कार्यशैली और बंदिशों से जल्द गणेश का सामना हुआ और एकबारगी गणेश को लगा कि उनका सपना अब टूटने ही वाला है. 

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इमरजेंसी केस कैसे देखेंगे

दरअसल मेडिकल एंट्रेंस की परीक्षा पास करके 2018 में जब गणेश दाखिला लेने गए तो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को विश्वास नहीं हुआ कि वह डॉक्टर बनने में सक्षम हैं, क्योंकि उनकी लंबाई मात्र तीन फीट है. एमसीआई ने उन्हें दाखिला देने से इनकार कर दिया. गणेश को तो दुनिया ही अंधेरी ही लगनी लगी थी. लेकिन उन्होंने इस झटके के सामने हार नहीं मानी. 

गणेश 6 साल पहले के उस दृश्य को याद करते हुए कहते हैं, "प्रवेश समिति ने कहा कि मैं अपनी ऊंचाई के कारण इमरजेंसी केस को संभालने में सक्षम नहीं हो पाऊंगा."

सुप्रीम कोर्ट से सपने को मिला पंख

इसके बाद गणेश की स्कूल के संचालकों ने उनसे MCI के फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करने के लिए कहा. गणेश उम्मीद के साथ हाईकोर्ट तो गए लेकिन यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी. वे केस हार गए. बावजूद इसके उन्होंने अपने डॉक्टर बनने के सपने को सींचना जारी रखा.तमाम परेशानियां आई. इसके बाद वे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. यहां उनके उम्मीदों का पंख मिला जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने के लिए हरी झंडी दे दी.

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गणेश कहते हैं, "23/10/2018 में सुप्रीम कोर्ट से हमें राहत देते हुए कहा गया था कि कम हाइट होने के बावजूद आपको मेडिकल क्षेत्र में पढ़ाई के लिए प्रवेश मिल सकता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मैंने भावनगर स्थित मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया. 01/08/2019 को एडमिशन के बाद MBBS की पढ़ाई शुरू हुई." उस वक्त तीन फीट हाइट वाले गणेश का वजन सिर्फ 16 किलो था.

5 साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद आज गणेश को डॉक्टर की उपाधि मिल गई है. 2018 में अगर गणेश एमसीआई के इनकार से टूट गए होते तो आज वे डॉ. गणेश बरैया नहीं होते.

23 साल के गणेश अब डॉक्टरी की पढाई के दूसरे फेज में पहुंच चुके हैं. उन्होंने तीन दिन पहले ही गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, भावनगर में इंटर्नशिप  शुरू की है. एक साल बाद यानी की मार्च 2025 में डॉक्टर गणेश का इंटर्नशिप पूरा होगा.

आगे बनाना है करियर

डॉक्टर गणेश ने आजतक के साथ बातचीत में कहा कि इंटर्नशिप के बाद वे NEET PG 2025 की परीक्षा देंगे. फिर मेडिसिन, पीडियाट्रिक, डार्मेटोलोजिस्ट या फिर साइकियाट्रिक क्षेत्र में आगे की पढ़ाई करेंगे. 

डॉक्टर बनने के इस सफर में गणेश स्कूल के संचालक, मेडिकल कॉलेज के डीन, प्रोफेसर समेत दोस्तों को थैंक्यू कहना नहीं भूलते हैं. गणेश कहते हैं कि हाइट कम होने की वजह से रोजाना कामकाज में कुछ मुसीबत तो होती है. स्कूल के समय में मुझे जो भी समस्या होती थी तो उसको लेकर संचालकों ने मेरे लिये अलग से सुविधा दी थी.

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मेडिकल अभ्यास की प्रैक्टिकल एग्जाम में समस्याए हुई तो उसमें भी कॉलेज के डीन की तरफ से सहयोग प्राप्त हुआ. कॉलेज के प्रोफेसरों द्वारा भी जब प्रैक्टिकल कराया जाता है, तब मुझे विशेष सहयोग मिलता रहता है. गणेश कहते है कि जरूरत पड़ने पर कॉलेज के मित्रों द्वारा भी सपोर्ट मिलता रहता है. एग्जाम में आगे बैठने के लिए दोस्तों की तरफ से हमेशा कहा जाता है.

हर स्थिति में रास्ता खोजने का हुनर
 
भावनगर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. हेमंत मेहता ने कहा कि यह उनके लिए बेहद खुशी की बात है कि बरैया ने अपना कोर्स पूरा कर लिया है और इंटर्नशिप कर रहे हैं

डॉ. मेहता ने कहा, "वह हर स्थिति में रास्ता खोज लेते थे. वह कभी-कभी हमें अपनी समस्याएं बताते थे और हम उन्हें हल करने की पूरी कोशिश करते थे."

मेहता ने कहा, "उनके दोस्तों, सहपाठियों और बैचमेट्स ने उनकी सबसे ज्यादा मदद की होगी क्योंकि वे हर समय उनके साथ रहते थे. शिक्षकों ने भी उनकी मदद की, क्योंकि उन्हें पूरी कक्षा में सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत थी.

गणेश के पिता खेती करते हैं. गणेश की तमाम सातों बहनों की शादी हो चुकी है. छोटा भाई B.ed की पढ़ाई कर रहा है. गणेश बरैया के साथ मेडिकल पढ़ने वाले उसके दोस्त कहते है कि तीन फिट हाइट वाले हमारे दोस्त गणेश को जब पहली बार हमने कॉलेज में देखा तो हमने यही सोचा था कि ये मेडिकल की पढ़ाई कैसे कर पाएगा. पढ़ाई कर भी लेगा तो डॉक्टरों के काम कैसे करेगा. हालांकि वक्त के साथ वो सफल होता गया और उसकी कामयाबी से आज हम खुश हैं. 

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