
गुजरात के मोरबी हादसे ने पूरे देश को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया है. कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं जिनकी जान गई, उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. रविवार को हुए ब्रिज हादसे में 143 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. इस दौरान कई लोग ऐसे भी थे जिन्होंने हादसे के तुरंत बाद लोगों की जान बचाने के लिए जी जान एक कर दिया. चलिए मिलवाते हैं कुछ ऐसे ही मोरबी हीरोज से...
दर्दनाक हादसे के गवाह कुलदीप ने बताया कि जैसे ही पुल गिरा, हर तरफ चीख पुकार मच गई. वो भी उस समय वहीं पास में ही मौजूद थे. उन्होंने तुरंत अपनी बाइक उठाई और एक के बाद एक 35 लोगों को अस्पताल पहुंचाया. ताकि समय रहते उनकी जान बचाई जा सके.
आर्मी की तैयारी कर रहे रोहित बने देवदूत
कडियाणा के रहने वाले रोहित ने बताया कि वह आर्मी में भर्ती होने की तैयारी कर रहे हैं. जब ट्रेनिंग लेने वाले ग्रुप से साथ वह वहां से गुजरे तो उन्हें चीख पुकार सुनाई दी. पता चला कि ब्रिज गिर गया है. ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर के कहने पर पूरा ग्रुप तुरंत हादसे की जगह पहुंचा और सभी ने मिलकर घायलों को बचाने की कोशिश की. 12 लोगों के ग्रुप में जिन-जिन को तैरना आता था, सभी ने बिना कुछ सोचे नदी में छलांग लगा दी और लोगों को नदी से बाहर निकालने में मदद की.
ग्रुप इंस्ट्रक्टर और रिटायर्ड आर्मी जवान ने बताया कि सबसे पहले हमने औरतों और बच्चों को बचाने का काम शुरू किया. हम लोग तब तक वहां मौजूद रहे जब तक कि सभी जिंदा लोगों को बाहर नहीं निकाल लिया गया.
बेटी की डिलीवरी कराने आए, जुट गए पीड़ितों की मदद में
मोरबी के सिविल अस्पताल में मौजूद तौफीक भाई ने बताया कि वह अपनी बेटी की डिलीवरी के लिए अस्पताल आए थे. जैसे ही अस्पताल में मोरबी ब्रिज के पीड़ितों को लाया जाने लगा तो उन्होंने न धर्म देखी न जाति बस उनकी मदद करने में जुट गए. वे तुरंत घटनास्थल पहुंचे और 35 बच्चों को वहां से अस्पताल पहुंचाया
चायवाले राजू ने सुनाई दर्दभरी दास्तां
वैसे ही ब्रिज के पास चाय की दुकान चलाने वाले राजू ने बताया कि जैसी ही हादसा हुआ वह दुकान छोड़ लोगों को बचाने के लिए जुट गए. उन्होंने कई घायलों को बचाने में मदद की. 10 से ज्यादा लोगों को नदी से बाहर निकाया. पूरी रात वह लोगों की मदद में जुटे रहे. राजू ने दुख जताते हुए कहा कि एक बच्ची नदी से जैसे ही उन्होंने बाहर निकाला तो उसने उन्हीं की गोद में दम तोड़ दिया. वहीं, एक गर्भवती महिला को भी वह नहीं बचा पाए, क्योंकि जैसे वह उसे बाहर निकालकर लाए तो थोड़ी ही देर बाद उसकी सांसें थम गईं.
सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका
बता दें, ब्रिज हादसे के कारणों की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. इस मामले पर जल्द सुनवाई के लिए मंगलवार को इसे पेश करने की योजना है. जनहित याचिका में मानवीय लापरवाही से हुई इस घटना की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में जांच कराने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने यह जनहित याचिका दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए देशभर में पुराने पुल या ऐतिहासिक धरोहरों में जुटने वाली भीड़ को मैनेज करने के लिए नियम बनाए जाने चाहिए.
उधर, गुजरात सरकार ने मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की बात कही है. इस मामले पर प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक भी की.
143 साल पुराना था ब्रिज
मोरबी में हुए ब्रिज हादसे के बाद अब तक पुल से जुड़े कई खुलासे हो चुके हैं. सामने आया है कि मोरबी का 765 फुट लंबा और 4 फुट चौड़ा पुल 143 साल पुराना था. इस पुल का उद्घाटन 1879 में किया गया था. इस केबल ब्रिज को 1922 तक मोरबी में शासन करने वाले राजा वाघजी रावजी ने बनवाया था. वाघजी ठाकोर ने पुल बनाने का फैसला इसलिए लिया था, ताकि दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस से जोड़ा जा सके.
युद्ध स्तर पर चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ की 5 टीम, एसडीआरएफ की 6 प्लाटून, वायुसेना की एक टीम, सेना के दो कॉलम और नौसेना की दो टीमें लगी हैं. इनके अलावा स्थानीय लोग भी रेस्क्यू ऑपरेशन में साथ दे रहे हैं.