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अडानी फाउंडेशन के अस्पताल में पांच साल में 1000 से ज्यादा बच्चों की मौत

Children die Adani hospital गुजरात के भुज शहर में अडानी फाउंडेशन के द्वारा संचालित एक अस्पताल में पिछले पांच साल में एक हजार से ज्यादा बच्चाें की माैत हो गई है. इस चिंताजनक आंकड़े के बारे में खुद गुजरात के डिप्टी सीएम ने विधानसभा में जानकारी दी है.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 3:12 PM IST

गुजरात के कच्छ जिले में स्थ‍ित भुज टाउन में स्थ‍ित जीके जनरल अस्पताल में पिछले पांच साल में 1,000 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है. गुजरात सरकार के डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने विधानसभा में यह जानकारी दी है. इस अस्पताल का संचालन अडानी फाउंडेशन के द्वारा किया जाता है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, प्रश्नकाल में कांग्रेस विधायक संतोख बेन द्वारा पूछे गए सवाल के लिखि‍त जवाब में उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बताया कि पिछले पांच साल में जीके जनरल हॉस्प‍िटल में 1,018 बच्चों की मौत हुई है. पटेल के पास स्वास्थ्य मंत्रालय का भी प्रभार है.

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डिप्टी सीएम पटेल ने बताया कि अस्पताल में साल 2014-15 में 188, साल 2015-16 में 87, साल 2016-17 में 208, साल 2017-18 में 276, साल 2018-19 में (अब तक) 159 बच्चों की मौत विभिन्न तरह की बीमारियों से हुई है. पटेल ने बताया कि ज्यादा मौतों को देखते हुए पिछले साल मई में इसकी जांच के लिए एक कमिटी भी बनाई गई. अपनी रिपोर्ट में कमिटी ने बच्चों की मौत के लिए कई वजहें बताई थीं. इनमें प्री मेच्योर बच्चों में गंभीर जटिलताएं, संक्रामक रोग, सांस संबंधी जटिलताएं, जन्म के समय ही दम घुटने और स्पेसिस जैसी समस्याएं शामिल थीं.

समिति की रिपोर्ट के बारे में बताते हुए पटेल ने विधानसभा में बताया कि अस्पताल में उपचार तय प्रोटोकॉल और मानक दिशानिर्देशों के मुताबिक होता है.

गौरतलब है कि इतनी संख्या में बच्चों की मौत एक असामान्य बात है और यह एक संवदेनशील मसला है. इसके पहले यूपी के गोरखपुर सहित कई शहरों में बच्चों की अस्पतालों में ज्यादा मौतों को लेकर काफी बवाल हो चुका है. अगस्त 2017 की शुरुआत में गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी. जिसके बाद योगी सरकार की काफी आलोचना हुई थी. अगस्त 2017 में गोरखपुर में करीब 300 बच्चों की मौत हो चुकी थी.

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साल 1996 में स्थापित अडानी फाउंडेशन देश के 18 राज्यों के 2,250 गांवों और शहरों में समाज सेवा का कार्य करता है. यह फाउंडेशन खासकर शिक्षा, जीविका, ग्रामीण बुनियादी ढांचा विका, सामुदायिक स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र में काम करता है.

गोरखपुर हादसे पर कांग्रेस सहित तमाम राजनीतिक दल हरकत में आ गए थे. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हादसे पर चिंता जताते हुए चार कांग्रेस नेताओं को फौरन गोरखपुर जाने को कहा था. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने गोरखपुर हादसे को शर्मनाक बताया था, लेकिन इसके पहले यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा था कि अगस्त महीने में आमतौर पर इंसेफेलाइटिस से ज्यादा बच्चे मरते हैं और यह मौतें भी ऐसी ही हैं, जबकि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि इतने बड़े देश में बहुत सारे हादसे हुए और ये कोई पहली बार नहीं हुआ, कांग्रेस के कार्यकाल में भी हुए.

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