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गुजरात सरकार अपने सरकारी कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए मोबाइल एप्लीकेशन ला रही है. इसको लेकर एक सर्कुलर जारी किया गया है. जिसकी शुरुआत 1 फरवरी से गांधीनगर स्थित सचिवालय परिसर, कर्मयोगी भवन, उद्योग भवन और कलेक्टर-डीडीओ कार्यालय के सभी विभागों में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों से की जाएगी. लेकिन सरकार की घोषणा के तुरंत बाद ही गुजरात राज्य कर्मचारी निगम ने डिजिटल उपस्थिति प्रणाली का विरोध करना शुरू कर दिया है.
गुजरात राज्य कर्मचारी निगम ने डिजिटल उपस्थिति प्रणाली का विरोध करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पत्र लिखा है. पत्र में कहा है कि उपस्थिति प्रणाली को डिजिटल बनाने का आदेश जारी करने से पहले सरकारी कर्मचारियों के मंडलों या महामंडलों को विश्वास में लिए बिना एकतरफा फैसला लिया गया है. कर्मचारी महामंडलों द्वारा डिजिटल उपस्थिति प्रणाली का विरोध किया जा रहा है. महामंडल ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि गांधीनगर स्थित सचिवालय परिसर, कर्मयोगी भवन, उद्योग भवन और कलेक्टर-डीडीओ कार्यालय के सभी विभागों में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों के लिए मौजूदा उपस्थिति प्रणाली जारी रखी जाए.
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कर्मचारियों ने उठाए गोपनीयता पर सवाल
गुजरात राज्य कर्मचारी संघ के महासचिव भरत चौधरी ने कहा है कि डिजिटल उपस्थिति प्रणाली का उपयोग कर्मचारियों की व्यक्तिगत लोकेशन और कैमरे तक पहुंच की अनुमति प्राप्त करके उनकी गोपनीयता के खिलाफ निगरानी प्रणाली स्थापित करने जैसा है. कई कर्मचारी जो निर्धारित समय के बाद भी कार्यालय में काम करते हैं, उनके लिए यह निर्णय उनका मनोबल कमजोर करने जैसा है. डिजिटल उपस्थिति प्रणाली को लागू करने के लिए कर्मचारियों के व्यक्तिगत मोबाइल फोन का उपयोग करना असुविधाजनक स्थिति पैदा करेगा, जो नियमों के भी विरुद्ध है.
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को लिखे पत्र में गुजरात राज्य कर्मचारी संघ ने कहा है कि डिजिटल उपस्थिति प्रणाली तीसरे पक्ष के माध्यम से लोकेशन मॉनिटरिंग के माध्यम से कर्मचारियों का व्यक्तिगत डेटा एकत्र करेगी, जो गोपनीयता के अधिकार के उल्लंघन जैसी स्थिति पैदा करती है. एप्लीकेशन के जरिए कर्मचारियों पर निगरानी जैसी स्थिति पैदा हो रही है. महिला कर्मचारियों को उनके कैमरे के जरिए उनकी लोकेशन और फेस अटेंडेंस के कारण होने वाली समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
सरकार का फैसला तर्कहीन और जनता का पैसा खर्च करने जैसा
डिजिटल उपस्थिति प्रणाली को लागू करने के फैसले को लेकर गुजरात राज्य कर्मचारी संघ का कहना है कि सरकार का फैसला तर्कहीन और जनता का पैसा खर्च करने जैसा है. कर्मचारियों को काम के लिए अलग-अलग विभागों में जाना पड़ता है, ऐसे में डिजिटल उपस्थिति प्रणाली कर्मचारियों के लिए परेशानी का सबब बन जाएगी. इससे फील्ड कर्मचारियों की परेशानी बढ़ेगी. ऐसे में गुजरात राज्य कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री से डिजिटल उपस्थिति प्रणाली को लागू न करके मौजूदा व्यवस्था को जारी रखने की अपील की है.