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छठ पूजा के मौके पर गुजरात में जमकर राजनीति, सुशील मोदी-अलपेश ठाकोर आमने-सामने

गुजरात से उत्तर भारतीयों के पलायन के बाद छठ पूजा को लेकर अहमदाबाद के साबरमती नदी के घाट पर राजनीतिक जमावड़ा देखने को मिला. उत्तर भारतीयों से हिंसा के मामले में विवादों के घेरे में आए कांग्रेस नेता अल्पेश ठाकोर भी छठ पूजा में शामिल हुए. तो वहीं बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी साबरमती पहुंचे.

साबरमती के घाट पर छठ पूजा साबरमती के घाट पर छठ पूजा
विवेक पाठक/गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 13 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:02 PM IST

यूं तो छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य की आराधना की जाती है, लेकिन गुजरात में बिहार और उत्तर भारतीयों की आस्था के जरिए राजनेता खुद की राजनीति का सूरज चमकाने में लगे थे. पिछले दिनों उत्तर भारतीयों पर हुए हमले और पलायन के मामले में विवादों में आए कांग्रेस नेता अल्पेश ठाकोर भी छठ पूजा के मौके पर सबरमती के घाट पहुंचे, तो वहीं गुजरात पहुंचे बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि अगर बिहारी चले गए तो गुजरात के कारखाने बंद हो जाएंगे.

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अहमदाबाद की साबरमती नदी में खास तौर पर बनाए घाटों पर मंगलवार को महिलाएं छठ पूजा के लिए पहुंची. इस बार की छठ पूजा इसलिए भी खास मानी जा रही थी क्योंकि गुजरात से उत्तर भारतीयों से हिंसा और पलायन के बाद राज्य की बीजेपी सरकार बिहार के लोगों में समरसता लाने का प्रयास कर रही थी. छठ पूजा के लिए खास तौर पर गुजरात सरकार ने अहमदाबाद की साबरमती नदी के तट पर इंदिरा ब्रिज के पास घाट का निर्माण कराया था.

इस घाट का उद्घाटन खुद गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने छठ पूजा के साथ किया. 13 करोड़ की लागत से बने इस घाट की घोषणा मुख्यमंत्री ने पिछले साल की थी.

वहीं, छठ पूजा के मौके पर गुजरात पहुंचे उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने राजनीतिक हमला करने का मौका नहीं छोड़ा. मोदी ने कहा कि गुजरात और बिहार का संबंध ऐसा है जो कभी मिट नहीं सकता है. गांधी का संबंध गुजरात के साथ रहा है, जेपी का संबध गुजरात के साथ रहा है. अगर गुजरात से बिहार के मजदूर चले जाएंगे तो गुजरात के कारखाने बंद हो जाएंगे.

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कांग्रेस नेता अल्पेश ठाकोर भी इस मौकै पर साबरमती के तट पर पहुंचे. अल्पेश ठाकोर ने कहा कि सुशील मोदी कारखाने बंद होने की बात करते हैं, लेकिन सवाल ये है कि जिन मजदूरों को अपनी मेहनत के पूरे पैसे नहीं मिलते उनकी बात क्यों नहीं करते.

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