
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 10 मई को गुजरात के दाहोद का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने आदिवासी समुदाय को संबोधित किया. राहुल के दौरे के बाद 21 मई को गुजरात की भाजपा सरकार ने तापी-नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट रद्द कर दिया. यह योजना केंद्र सरकार की थी, लेकिन इसे राज्य सरकार की तरफ से ही रद्द कर दिया गया. गुजरात में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, फैसले को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है.
सोमवार को राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की. उन्होंने कहा कि गुजरात के दाहोद में मैंने आदिवासी भाई-बहनों को संबोधित करते हुए कहा था कि जैसे ही राज्य में कांग्रेस सरकार आएगी हम सबसे पहले 'तापी- नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट' बंद करेंगे. 10 दिन बाद आदिवासियों और कांग्रेस पार्टी के दबाव में आकर गुजरात की भाजपा सरकार ने इस परियोजना को रद्द कर दिया.
राहुल गांधी ने आगे कहा, 'ये आदिवासियों की बड़ी जीत है. कांग्रेस पार्टी हमेशा से आदिवासियों के हक में आवाज उठाती आई है. आगे भी हम बिना डरे, बिना झुके आपकी आवाज़ उठाते रहेंगे. जब गुजरात में कांग्रेस की सरकार आएगी, हम आपके जल, जंगल, जमीन की रक्षा को प्राथमिकता देंगे.'
प्रोजेक्ट का क्यों हुआ विरोध?
दरअसल, तापी-नर्मदा लिंक प्रोजे योजना का लंबे समय से विरोध कर रहा था. उनकी नजरों में इस एक योजना की वजह से कई आदिवासी विस्थापित हो जाएंगे. इसके अलावा ये भी दावा हुआ कि इस प्रोजेक्ट की वजह से 60 से ज्यादा गांव पानी में डूब जाएंगे. इन्हीं सब काक्ट के जरिए पानी की कमी वाले सौराष्ट्र और कच्छ के क्षेत्रों में पानी भेजा जाना था. लेकिन आदिवासी समुदाय इसरणों को लेकर आदिवासी समुदाय में रोष था और राज्य सरकार पर इस प्रोजेक्ट को वापस लेने का दवाब भी था.
फैसले के चुनावी मायने
चुनावी गणित के लिहाज से देखें तो गुजरात में आदिवासी वोटबैंक काफी मायने रखता है. माना जाता है कि 180 में से कम से कम 27 सीटों पर ये आदिवासी समुदाय ही जीत-हार तय कर जाता है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अच्छा खासा आदिवासी वोट मिला था, ये अलग बात रही कि बाद में कांग्रेस के कई विधायक पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए, कुछ तो अभी भूपेंद्र सरकार में मंत्री भी बनाए गए हैं.