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मशहूर आर्किटेक्चर और पद्म भूषण से सम्मानित बालकृष्ण दोशी का 95 वर्ष की उम्र में निधन, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि

भारतीय वास्तुविद बालकृष्ण दोशी का 95 साल की उम्र में निधन हो गया. डॉ दोशी को 2018 में वास्तुकला के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक माना जाने वाला प्रित्जकर आर्किटेक्चर पुरस्कार मिला था. ये सम्मान पाने वाले पहले भारतीय वास्तुकार थे. 1927 में पुणे में जन्मे, दोशी ने Le Corbusier जैसे वास्तुकला के दिग्गजों के साथ काम किया.

मशहूर भारतीय वास्तुविद बालकृष्ण दोशी का निधन (फाइल फोटो) मशहूर भारतीय वास्तुविद बालकृष्ण दोशी का निधन (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • अहमदाबाद,
  • 24 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

मशहूर आर्किटेक्चर और पद्म भूषण से सम्मानित बालकृष्ण दोशी का मंगलवार को उनके घर पर 95 वर्ष की आयु में निधन हो गया. दोशी के निधन पर प्रधानमंत्री मोदी ने भी ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके कामों को याद किया. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'डॉ बीवी दोशी जी एक शानदार वास्तुकार और एक उल्लेखनीय संस्था निर्माता थे. आने वाली पीढ़ियों को भारत भर में उनके समृद्ध कार्यों की प्रशंसा करके उनकी महानता की झलक मिलेगी. उनका निधन दुखद है. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं. ओम शांति.'

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दोशी के परिवार ने उनके निधन की जानकारी दी. परिवार ने कहा, 'बालकृष्ण दोशी (26 अगस्त, 1927 से 24 जनवरी, 2023), प्यारे पति, पिता, दादा और परदादा के निधन के बारे में आपको सूचित करते हुए हमें गहरा दुख हो रहा है.' 1927 में पुणे में जन्मे, दोशी ने Le Corbusier जैसे वास्तुकला के दिग्गजों के साथ काम किया. उन्होंने लुइस कान के साथ भी भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद और कई अन्य प्रशंसित परियोजनाओं के निर्माण के लिए एक सहयोगी के रूप में काम किया था.

सीएम भूपेंद्र पटेल ने दी श्रद्धांजलि

उनके निधन के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी उन्हें याद किया और दोशी को वास्तुकला की दुनिया का ध्रुव तारा कहकर श्रद्धांजलि दी. सीएम पटेल ने गुजराती भाषा में एक ट्वीट में कहा, 'प्रित्जकर आर्किटेक्चर पुरस्कार विजेता 'पद्म भूषण' बालकृष्ण दोशीजी के निधन पर शोक. विश्व प्रसिद्ध वास्तुकार जो वास्तुकला की दुनिया में ध्रुव तारे की तरह हैं. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और उनके परिवार, अनगिनत प्रशंसकों और शिष्यों को इस सदमे को सहन करने की शक्ति दे.'

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इन प्रोजेक्ट्स के लिए किया जाएगा याद

दोशी को आर्किटेक्चर की दुनिया में उनके कई अनोखे कामों के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने अहमदाबाद में इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, सीईपीटी यूनिवर्सिटी और कनोरिया सेंटर फॉर आर्ट्स, बैंगलोर में भारतीय प्रबंधन संस्थान और इंदौर में निम्न से मध्यम आय वाले परिवारों के लिए एक टाउनशिप अरन्या लो कॉस्ट हाउसिंग जैसे प्रोजेक्ट्स पर काम किया. उनके कामों के लिए 1995 में उन्हें वास्तुकला के लिए प्रतिष्ठित आगा खान पुरस्कार से नवाजा गया था. दोशी ने 1956 में अहमदाबाद में वास्तुशिल्पा नामक संस्था की स्थापना की. उनके परिवार के कई सदस्य आर्किटेक्ट हैं. 

इन पुरस्कारों से किया गया सम्मानित

इसके बाद साल 2018 में, उन्हें वास्तुकला के क्षेत्र में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक माना जाने वाला प्रित्जकर आर्किटेक्चर पुरस्कार मिला, जो सम्मान प्राप्त करने वाले पहले भारतीय वास्तुकार बन गए. इसके बाद साल 2020 में उन्हें भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

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