
अहमदाबाद की साबरमती जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे माफिया अतीक अहमद की बैरक बदल दी गई है. बताया जा रहा है कि सुरक्षा कारणों से ऐसा किया गया है. अतीक अहमद को अब हाई सिक्योरीटी जोन वाली 200 नंबर खोली में रखा गया है. यहां अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट का आरोपी भी कैद है. यह पूरा इलाका खूंखार कैदियों से भरा हुआ है. यहां पुलिसकर्मी के अलावा किसी की भी चहल-पहल नहीं होती है.
दरअसल, 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की धूमनगंज इलाके में हत्या कर दी गई थी. इसका आरोप अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के साथ उसके गुर्गों पर लगा था. वहीं, साल 2006 में विधायक राजू पाल के गवाह उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया था.
इसके बाद साल 2007 में मायावती सरकार आने पर उमेश पाल की तरफ से इस मामले में धूमनगंज थाने में 11 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी. अपहरण के मामले में अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा हो चुकी है.
अपहरण के 17 साल बाद उमेश की हत्या
बता दें कि प्रयागराज के बहुचर्चित विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल और उनके 2 सुरक्षाकर्मियों संदीप निषाद और राघवेंद्र की 24 फरवरी 2023 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने धूमनगंज थाने में पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, 2 बेटों, अतीक के साथी गुड्डू मुस्लिम, गुलाम मोहम्मद और 9 अन्य साथियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था.
शूटर्स के अलावा उमेश पाल हत्याकांड में गुजरात की जेल में बंद माफिया अतीक अहमद, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक का भाई अशरफ और उसके बेटों को आरोपी बनाया गया. अतीक का भाई अशरफ उत्तर प्रदेश की बरेली जेल में बंद है.
28 मार्च को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 17 साल पुराने केस में अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. उमेश पाल अपहरण कांड में अतीक अहमद, हनीफ और दिनेश पासी को प्रयागराज की एमपी-एमएलए अदालत ने दोषी करार दिया. फिर इन तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही एक-एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति लगाई गई.
सजा सुनने के बाद अतीक अहमद ने प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट से गुजारिश करते हुए कहा था, 'मुझे साबरमती जेल में ही भेज दो, मुझे यहां नहीं रहना, पुलिस मुझ पर केस लाद देगी.' इसके बाद अतीक अहमद को प्रयागराज से साबरमती जेल लाया गया. साबरमती जेल लाते वक्त अतीक ने एनकाउंटर के सवाल पर कहा था- काहे का डर.
किस केस में अतीक को हुई है उम्रकैद की सजा?
अतीक को राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद उमेश पाल के अपहरण केस में सजा मिली है. उमेश पाल का 28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद ने अपहरण कर लिया था. उमेश पाल को अगवा करके कर्बला इलाके के दफ्तर में ले जाया गया, जहां उसे मारा पीटा गया. बिजली के झटके तक दिए गए और हलफनामे पर जबरन दस्तखत करा लिए.
इसके बाद 1 मार्च 2006 को अदालत में उमेश पाल से ये गवाही भी दिला दी गई कि राजू पाल की हत्या के वक्त वो यानी खुद उमेश घटनास्थल पर मौजूद नहीं था. अतीक अहमद ने एक बार तो अदालत में उमेश पाल से अपने पक्ष में गवाही दिला ली थी, लेकिन 2007 में यूपी की सरकार बदलते ही उमेश पाल ने 5 जुलाई को केस दर्ज करा दिया.
24 फरवरी को हुई थी उमेश पाल की हत्या
24 फरवरी को उमेश पाल और उनके दो सुरक्षा कर्मियों की बदमाशों ने गोली और बम मारकर हत्या कर दी थी. उमेश पाल, विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में गवाह थे. 24 फरवरी को उमेश गाड़ी से उतर रहे थे, उसी दौरान बदमाशों ने उन पर फायरिंग कर हत्या कर दी थी. इस दौरान उमेश के साथ उनके दो सरकारी गनर की भी मौत हो गई थी.