
गुजरात में भी कोविड-19 संक्रमण ने विकराल रूप धारण कर रखा है. अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और वडोदरा जैसे अहम शहरों का हाल बुरा है. अस्पतालों में बेड से लेकर श्मशान में अंतिम संस्कार तक के लिए वेटिंग की स्थिति है. संक्रमण के आंकड़े हर दिन राज्य में नए रिकॉर्ड बना रहे हैं. शनिवार से रविवार तक सूरत में कोरोना के 1700 नए केस आ चुके थे और इसी दौरान 26 लोगों की मौत हुई.
ऐसी स्थिति में सूरत के तमाम वर्गों से जरूरतमंदों के लिए मदद के हाथ आगे आ रहे हैं. इसी के तहत सामाजिक संगठनों और व्यापार जगत से जुड़े लोगों ने इस महामारी के खिलाफ मुहिम छेड़ते हुए मुफ्त आइसोलेशन सेंटर बनाने की मुहिम शुरू कर दी है. इस काम में राजनीतिक दलों से भी सहयोग मिल रहा है.
भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी, सूरत का व्यापारी वर्ग, अलग-अलग सामाजिक दल अपनी ओर से इस मुहिम में योगदान कर रहे हैं. सूरत के पर्वत गांव इलाके में नगर निगम के कम्युनिटी हॉल में बीजेपी के स्थानीय पार्षद, अग्रवाल समाज और गौ पुत्र मित्र मंडल की ओर से 100 बेड का नमो कोविड आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है.
जनभागीदारी की मिसाल इस नमो आइसोलेशन सेंटर में 64 मरीजों का एक साथ इलाज किया जा सकता है. ‘आज तक’ ने इस आइसोलेशन सेंटर का जायजा लिया, जहां 30 ऑक्सीजन सिलेंडर और आधुनिक सुविधाओं वाले बेड संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बनकर तैयार है. इस आइसोलेशन सेंटर में फिलहाल 26 मरीजों का इलाज चल रहा है. सूरत नगर निगम की ओर से कम्युनिटी हॉल मुहैया कराया गया है.
इलाके के पार्षद दिनेश राजपुरोहित ने ‘आजतक’ को बताया कि आखिर इस आइसोलेशन सेंटर का नाम नमो कोविड केयर क्यों रखा गया? दिनेश राजपुरोहित कहते हैं, "जब सारी दुनिया इस महामारी से लड़ रही है तब भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वैक्सीनेशन से लेकर हर मोर्चे पर अच्छा काम किया है, इसीलिए उनके नाम पर हमने इस कोविड-19 आइसोलेशन सेंटर का नाम रखा है जहां मरीजों का मुफ्त और बेहतर हर तरीके से इलाज किया जाता है."
इस केयर सेंटर पर चौबीसों घंटे डॉक्टर पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती है. एलोपैथिक डॉक्टर के साथ-साथ आयुर्वेदिक डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ, सफाई कर्मचारियों को भी पर्याप्त संख्या में यहां रखा गया है. सिर्फ सूरत शहर ही नहीं बल्कि इलाके के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र सचिन में व्यापारी समूह ने भी आपसी भागीदारी से संक्रमित मरीजों के लिए आइसोलेशन सेंटर तैयार करवाया है. इस आइसोलेशन सेंटर से स्थानीय पटेल समाज की भी भागीदारी है.
पटेल समुदाय के लोग, जीआईडीसी इलाके के उद्योगपति और स्थानीय लोगों की मदद से सचिन में 75 बेड का कोविड-19 आइसोलेशन सेंटर तैयार किया गया है. 75 बेड के इस आइसोलेशन सेंटर में हर बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा मौजूद है. यहां मरीजों की देखभाल कर रहीं डॉ निराली बताती हैं कि पिछले साल और इस साल की आई लहर में फर्क इतना है कि इस बार मरीजों को हाइपरक्सिया की शिकायत ज्यादा हो रही है इसलिए उन्हें तुरंत ऑक्सीजन देना पड़ता है. डॉ निराली का कहना है कि पिछले साल मरीजों की उम्र 50 साल के ऊपर हुआ करती थी लेकिन इस बार 30 से 40 साल के लोगों में भी यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है और सीधे फेफड़ों पर असर कर रहा है.
यह आइसोलेशन सेंटर जीआईडीसी इलाके से हटकर बनाया गया है. कम्युनिटी हॉल को आइसोलेशन सेंटर बनाने की कवायद में मरीजों के विशेष स्वागत के लिए फूल और स्वास्तिक का निशान भी दिखाई देता है. भर्ती होने वाले संक्रमित मरीजों को असुविधा ना हो इसके लिए डॉक्टरों के साथ-साथ नर्सिंग की पूरी टीम यहां तैनात है. सुबह शाम नाश्ते से लेकर दोपहर का और रात का खाना भी यहां मिलता है. RT-PCR टेस्टिंग की सुविधा भी यहां उपलब्ध है.
सचिन के इस आइसोलेशन सेंटर का संचालन देख रहे धर्मेश पटेल का कहना है, "पूरे देश में संक्रमण बढ़ रहा है. गुजरात में भी उसका असर हुआ है. ऐसे में स्थानीय विधायक जीआईडीसी और पटेल समुदाय की ओर से 17 अप्रैल को इस आइसोलेशन सेंटर को शुरू किया गया है और सभी 75 बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा है ताकि किसी को दिक्कत ना हो." संक्रमण की चपेट ने देशभर के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को हिला दिया है. ऐसे में सूरत ने मिसाल पेश की है. जनभागीदारी के तहत बढ़े मदद के इन हाथों से कई बेशकीमती जिंदगियां बचाई जा सकेंगी.
टेंट लगाने वालों ने बना दिया आइसोलेशन सेंटर
सूरत में जब मरीजों को बेड नहीं मिले तब शादी समारोह में टेंट लगाने का काम करने वालों ने रातों रात प्राइवेट स्कूल में 40 बेड का आइसोलेशन सेंटर बना दिया. 40 बेड के आइसोलेशन सेंटर में 20 बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा भी उपलब्ध है. यहां टीवी म्यूजिक सिस्टम लगा है तो डॉक्टरों का बंदोबस्त भी है.
गौरतलब है कि सूरत, गुजरात के सबसे अधिक कोरोना प्रभावित इलाकों में से एक है. सूरत के साथ ही अहमदाबाद, वडोदरा में भी कोरोना संक्रमितों की तादाद अधिक है. अस्पतालों में बेड का अभाव है.