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सूरत के सरथाना में 20 छात्रों की जान लेने वाले अग्निकांड के बाद गुजरात सरकार ने फायर सेफ्टी मानकों में कमी पाए जाने के बाद प्रदेश भर के कई कोचिंग सेंटरों को बंद करने का आदेश जारी किया था. इस आदेश के बाद अब जैसे मामले सामने आ रहे हैं, वे हैरान करने वाले हैं. सुरक्षा मानकों पर खरा न उतर पाने के चलते ट्यूशन सेंटर के मालिकों ने गार्डन एरिया, सरकारी ऑफिसों के कम्पाउंड्स और यहां तक कि श्मशान में भी क्लास शुरू कर दी हैं.
बनासकांठा जिले के पालनपुर शमशान गृह में कोचिंग क्लास चलाई जा रही है. यहां शमशान गृह में छात्र कोचिंग पढ़ने को मजबूर हैं.
दरअसल सूरत के कोचिंग सेंटर में हुए अग्निकांड के बाद से गुजरात सरकार ने फायर सेफ्टी मानकों की कमी की वजह से प्रदेश भर के कोचिंग सेंटर्स को बंद कर दिया है. इस वजह से ट्यूशन सेंटर्स के मालिकों को इन जगहों पर क्लासेज चलानी पड़ रही हैं.
पालनपुर में एक कोचिंग क्लास के मालिक रवि सोनी ने आजतक से हुई खास बातचीत में कहा, 'मैंने अपनी कोचिंग सेंटर में सभी जरूरी फायर सेफ्टी मानक लगाए हुए हैं, लेकिन फिर भी सूरत की घटना के बाद मेरे सेंटर को बंद कर दिया गया. यह बहुत परेशान करने वाला है. नगरपालिका और कलेक्ट्रेट का कहना है कि वे मुझे नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी नहीं कर सकते हैं.'
सूरत हादसे के बाद से राज्य में हजारों ट्यूशन क्लासेज बंद चल रही हैं. हालांकि विभिन्न शहरों में नगर निगम ने फायर सेफ्टी नियमों के मानकों पर फिट बैठने वाले कोचिंग सेंटर्स को नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी कर दिया है. छात्रों का कहना है कि उनकी मजबूरी है जिसके चलते उन्हें श्मशान गृह में पढ़ाई करनी पड़ रही हैं.
पालनपुर के ही एक छात्र ने बताया कि जिस कोचिंग सेंटर में वह पढ़ाई करता है, उस संस्थान ने फायर सेफ्टी की सभी प्रक्रियाएं पूरी की हैं फिर भी प्रशासन की ओर से एनओसी नहीं दी जा रही है. इसके बाद कलेक्ट्रेट में पढ़ाई करने की कोशिश की गई तो वहां धारा 144 लगा दी गई. मजबूरन छात्रों को पढ़ाई के लिए शमशान गृह में पढ़ाई करनी पड़ रही है.
बता दें सूरत के सरथाना में 20 छात्रों की जान लेने वाला अग्निकांड तक्षशिला आर्केड बिल्डिंग के उस फ्लोर पर हुआ था जो गैरकानूनी तरीके से बनाया गया था. इस फ्लोर की छत को फाइबर से बनाया गया था. फाइबर में लगी आग पर काबू पाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा और छात्रों को बचाया नहीं जा सका.