गुजरात: पंचायत का तुगलकी फरमान, अविवाहित लड़कियों के लिए मोबाइल के इस्तेमाल पर रोक

बनासकांठा के जलोल गांव में हुई पंचायत में एकमत से फैसला लिया गया कि गांव की अविवाहित लड़कियों को मोबाइल इस्तेमाल नहीं करना है. अगर कोई लड़की इस आदेश की अवहेलना करती है तो उसके पिता से जुर्माना वसूला जाएगा. जुर्माने की ये रकम 1.50 लाख रुपये होगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर. प्रतीकात्मक तस्वीर.
गोपी घांघर
  • नई दिल्ली,
  • 17 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 1:50 PM IST

आज के जमाने में जहां आप मोबाइल के बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, वहीं गुजरात के बनासकांठा में ठाकोर समुदाय ने अपनी बेटियों के लिए एक दकियानूसी फरमान सुनाया है. ठाकोर समुदाय ने इलाके की अविवाहित बेटियों के लिए मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है.

रविवार को बनासकांठा के जलोल गांव में पंचायत बैठी. इस गांव में एकमत से फैसला लिया गया कि गांव की अविवाहित लड़कियों को मोबाइल इस्तेमाल नहीं करना है. अगर कोई लड़की इस आदेश का उल्लंघन करती है तो उसके पिता से जुर्माना वसूला जाएगा. जुर्माने की रकम 1.50 लाख रुपये होगी.

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रिपोर्ट के मुताबिक जिला पंचायत के सदस्य जयंतीभाई ठाकोर ने कहा, "हमारे समुदाय की रविवार को बैठक हुई, इसमें हमने फैसला किया कि शादियों में फिजूलखर्ची को रोका जाए , डीजे और पटाखों का इस्तेमाल बंद किया जाए. इससे हम पैसे बचा सकते हैं."

पंचायत में यह भी फैसला लिया गया कि अगर कोई लड़की परिवार की बिना सहमति के शादी करती है तो इसे अपराध माना जाएगा.

पंचायत के इस फैसले पर विधायक और ठाकोर नेता अल्पेश ठाकोर ने प्रतिक्रिया दी है और कुछ फैसलों पर आपत्ति जताई है. अल्पेश ठाकोर ने कहा, "शादियों में खर्च घटाने का फैसला तो सही है, लेकिन इस फैसले में पेंच है कि अविवाहित लड़कियों को मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. यदि वे लड़कों के बारे में भी ऐसा ही कानून बनाते तो अच्छा होता, लव मैरिज के बारे में तो मैं कुछ नहीं कहूंगा, मैंने खुद लव मैरिज की थी."

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पंचायत का ये फैसला कोटदा, गौड़ा, आउदा, हरियावाड़ा, मरपुरिया, शेरगढ़, तेलपुरा, रनडौल, रतनपुर, दनारी और वेलवास गांव में लागू होगा. आसपास के इलाकों में पंचायत के इस फैसले की काफी चर्चा है. कई लोग दबी जुबान में इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. हालांकि खुलकर अभी तक किसी ने कुछ नहीं कहा है. गांव की लड़कियों का कहना है कि मोबाइल पर प्रतिबंध नही होना चाहिए क्योंकि कई बार मोबाइल का इस्तामल पढ़ाई और ज्ञान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है.

 कुछ गैर सरकारी संगठनों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है.

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