
गुजरात के जामनगर में 2 साल के मासूम को आखिरकार बोरवेल से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. करीब 9 घंटे तक मौत से जंग लड़ते हुए बच्चे को बचा लिया गया. मामला जामनगर जिले के लालपुर तालुका के गोवाणा गांव का है. यहां मंगलवार शाम 6:30 बजे महाराष्ट्र के मजदूर परिवार का 2 साल का मासूम "राज" खेत में खुले पड़े 200 फुट गहरे बोरवेल में गिर गया था.
घटना की सूचना मिलते ही जामनगर का प्रशासनिक अमला तुरंत बच्चे को बचाने के लिए मौके पर पहुंच गया. करीब 9 घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार सुबह 3:30 बजे "राज" जिंदगी की जंग जीत ली. इसके बाद प्रशासन ने उसे इलाज के लिए सरकारी जीजी अस्पताल पहुंचाया. वहां बाल रोग विशेषज्ञों की टीम ने बच्चे को भर्ती कर तत्काल प्राथमिक उपचार दिया.
जामनगर में पिछले छह महीनों में तीसरी घटना
जामनगर और देवभूमि द्वारका सहित हालार पंथ में खेतों में खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने की पिछले छह महीनों में कल यह तीसरी घटना थी. कल की इस घटना में बचाव अभियान में केवल जामनगर की महानगर पालिका के फायर स्टेशन अधिकारियों की एक टीम और रिलायंस फायर की टीम ने ही बचाव अभियान को अंजाम दिया था. हालांकि, इस बार अच्छी बात यह रही कि बच्चे को बचा लिया गया.
वहीं, पिछली दो घटनाओं में घंटों के बचाव अभियान के बाद भी बच्चों को जिंदा नहीं बचाया जा सका था. पिछली दोनों घटनाएं तमाचन गांव और राण गांव में हुई थीं. पहले की घटनाओ में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना की टीमें बचाव में शामिल हुईं थीं. मगर, सफलता नहीं मिली थी.
सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचा प्रशासनिक अमला
गोवाणा गांव के खेत में मजदूरी करने वाले महाराष्ट्र के एक परिवार का बच्चा "राज" खेलते-खेलते खुले बोर में गिर गया. उसके माता-पिता ने गांव के सरपंच को जैसे ही इसकी सूचना दी, उन्होंने तुरंत प्रशासन को मामले की जानकारी दी.
जामनगर महानगर पालिका के फायर स्टेशन ऑफिसर राकेश गोकानी और कामिल मेहता की टीम सबसे पहले मौके पर पहुंची. बोरवेल में फंसे बच्चे के दोनों हाथों को रस्सी से बांधकर उसे एक जगह स्थिर किया गया.
उसके बाद बोरवेल में बच्चे को लगातार ऑक्सीजन पहुंचाई गई. इस दौरान बोरवेल के किनारे से तीन फीट की दूरी पर एक गहरा गड्ढा खोदा गया और नीचे से भी एक गहरा गड्ढा खोदा गया. आखिरकार नौ घंटे की मशक्कत के बाद 3 बजे बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया गया.
इनपुट- दर्शन ठक्कर