अरब सागर में मौजूद हैं कृष्ण की द्वारका के राज, ये थी डूबने की वजह

ऐसी मान्यता है कि मथुरा छोड़ने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में एक नया नगर बसाया. इसका प्राचीन नाम कुशस्थली था. कुछ वर्षों पहले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओसियनोग्राफी को समुद्र के अंदर प्राचीन द्वारका के अवशेष प्राप्त हुए थे.

Advertisement
अंडरवाटर सिटी द्वारका अंडरवाटर सिटी द्वारका

मोहित ग्रोवर

  • नई दिल्ली,
  • 15 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

आज देशभर में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जा रही है. इस मौके पर हम आपको महाभारत काल की एक ऐसी नगरी के बारे में बता रहे हैं, जिसे भगवान श्री कृष्ण ने बसाया था. इस नगरी का एक हिस्सा आज भी समंदर में है. कुछ वर्षों पहले इसकी खोज की गई थी. हम बात कर रहे हैं द्वारका धाम की. यह गुजरात के काठियावाड क्षेत्र में अरब सागर के द्वीप पर स्थित है.

Advertisement

- ऐसी मान्यता है कि मथुरा छोड़ने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका में एक नया नगर बसाया. इसका प्राचीन नाम कुशस्थली था. कुछ वर्षों पहले नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओसियनोग्राफी को समुद्र के अंदर प्राचीन द्वारका के अवशेष प्राप्त हुए थे. अनेक द्वारों का शहर होने के कारण इस नगर का नाम द्वारका पड़ा. इस शहर के चारों तरफ से कई लम्बी दीवारें थी, जिनमें कई दरवाजे थे. ये दीवारें आज भी समुद्र के गर्त में हैं.

मिले ताम्बे के सिक्के और ग्रेनाइट स्ट्रक्चर

- द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1963 में सबसे पहले द्वारका नगरी का ऐस्कवेशन डेक्कन कॉलेज पुणे, डिपार्टमेंट ऑफ़ आर्कियोलॉजी और गुजरात सरकार ने मिलकर किया था. इस दौरान करीब 3 हजार साल पुराने बर्तन मिले थे.

- इसके तकरीबन एक दशक बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया कि अंडर वॉटर आर्कियोलॉजी विंग को समंदर में कुछ ताम्बे के सिक्के और ग्रेनाइट स्ट्रक्चर भी मिले.

Advertisement

18 साथियों के साथ द्वारका आए कृष्ण

- बताया जाता है कि कृष्ण अपने 18 साथियों के साथ द्वारका आए थे. यहां उन्होंने 36 साल तक राज किया. इसके बाद उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए. भगवान कृष्ण के विदा होते ही द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई और यादव कुल नष्ट हो गया.

 

 

क्या दो श्राप से डूबी द्वारका?

पहला श्राप:

महाभारत युद्ध के बाद कौरवों की माता गांधारी ने महाभारत युद्ध के लिए श्रीकृष्ण को दोषी ठहराया. उन्होंने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस तरह कौरवों के वंश का नाश हुआ है ठीक उसी प्रकार पूरे यदुवंश का भी नाश होगा.

 

दूसरा श्राप:

प्रचलित कहानियों के मुताबिक, माता गांधारी के अलावा दूसरा श्राप ऋषियों द्वारा श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को दिया गया था. दरअसल, महर्षि विश्वामित्र, कण्व, देवर्षि नारद आदि द्वारका पहुंचे. वहां यादव कुल के कुछ युवकों ने ऋषियों से मजाक किया. वे श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को स्त्री वेष में ऋषियों के पास ले गए और कहा कि ये स्त्री गर्भवती है. इसके गर्भ से क्या पैदा होगा? ऋषि अपमान से क्रोधित हो उठे और उन्होंने श्राप दिया कि- श्रीकृष्ण का यह पुत्र ही यदुवंशी कुल का नाश करने के लिए एक लोहे का मूसल बनाएगा, जिससे अपने कुल का वे खुद नाश कर लेंगे.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement