
नर्मदा आंदोलन की मेधा पाटकर ने दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना की उस याचिका का विरोध किया है जहां कहा गया कि उनके खिलाफ चल रही मामले की सुनवाई को स्थगित कर दिया जाए. गुजरात 2002 दंगों के बाद कुछ लोगों ने मेधा पाटकर पर हमला कर दिया था. तब आरोप वीके सक्सेना पर भी लगे थे. उसी मामले में गुजरात की एडिशन मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में सुनवाई हुई जहां पर वीके सक्सेना ने अपनी मांग रखी.
याचिका के जरिए वीके सक्सेना ने कहा कि वे एलजी के पद पर हैं, और एलजी का पद संवैधानिक पद है. जब तक वे दिल्ली के उप-राज्यपाल हैं, तब तक इस मामले के ट्रायल को स्थगित रखा जाए. अपनी याचिका में उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि वे राष्ट्रपति के जरिए नियुक्त किए गए हैं. उनकी तरफ से अनुच्छेद 361(1) का भी हवाला दिया गया.
लेकिन इस मामले में मेधा पाटकर ने वीके सक्सेना के खिलाफ ट्रायल शुरू करने की मांग उठा दी. अभी के लिए कोर्ट इस मामले में 15 मार्च को अगली सुनवाई करने जा रहा है. तभी साफ होगा कि वीके सक्सेना को राहत मिलती है या फिर उन्हें झटका लगता है. जानकारी के लिए बता दें कि नर्मदा बचाव आंदोलन की मेधा पाटकर पर 21 साल पहले यानी कि 2002 में अहमदाबाद के गांधी आश्रम में हमला किया गया था. इस हमले में चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. जिस में गुजरात दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना, बीजेपी के विधायक अमित पोपटलाल शाह, बीजेपी के विधायक अमित ठाकर और राहुल पटेल शामिल थे.
असल में गुजरात दंगो के तुंरत बाद के 7 मार्च 2002 को अहमदाबाद के गांधी आश्रम में मेधा पाटक के जरिए शांति बैठक बुलाई गई थी. इस दौरान कुछ लोगों ने मेधा पाटकर का विरोध करते हुए उन पर हमला किया था. उसी मामले में एलजी वीके सक्सेना केस को स्थगित करना चाहते हैं.