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द्वारकाधीश मंदिर पर क्यों फहराए गए दो ध्वज? क्या है बिपरजॉय चक्रवात से कनेक्शन

बिपरजॉय चक्रवात के बीच गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर दो ध्वजा फहराए गए हैं. द्वारका के स्थानीय लोगों में इस ध्वज को लेकर खास मान्यता है. सोमवार को दो ध्वज इसलिए लगाए गए हैं, क्योंकि चक्रवात की वजह से तेज हवाएं चल रही हैं, ऐसे में शिखर तक पहुंच पाना खतरे से खाली नहीं है. इससे दूसरे ध्वज को स्तंभ से नीचे लगाया गया है.

द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर दो ध्वजा फहराए गए हैं. द्वारकाधीश मंदिर के शिखर पर दो ध्वजा फहराए गए हैं.
गोपी घांघर
  • अहमदाबाद,
  • 13 जून 2023,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST

गुजरात में चक्रवात बिपरजॉय का खतरा है. खासकर तटीय इलाकों में तूफान का ज्यादा असर देखने को मिल सकता है. इस बीच, सोमवार को द्वारका के जगत मंदिर में एक साथ दो धजों को फहराए जाने का मामला सामने आया है. कुछ श्रद्धालुओं की तरफ से दावा किया जा रहा है कि चक्रवात से आई आपदा को दूर करने के लिए मंदिर के शिखर पर दो झंडे फहराए गए हैं. कुछ मीडिया रिपोटर्स में दावा किया कि इस तरह की घटना इतिहास में पहली बार हुई है.

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जगत मंदिर में दो झंडे क्यों फहराए गए?

Gujarattak की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय तीर्थ पुरोहित ने जगत मंदिर के शिखर पर दो ध्वज फहराने के बारे में स्पष्ट किया है. उन्होंने कहा कि चक्रवात बिपरजॉय के कारण द्वारकाधीश के मंदिर के ध्वज स्तंभ पर ध्वजारोहण नहीं हो पा रहा है. ऐसे में पुराने ध्वज को नीचे छोड़ नया ध्वज फहराया गया है. कई श्रद्धालु इसे चक्रवात से अनहोनी को टालने के लिए आस्था से जोड़कर देख रहे हैं. फैक्ट यही है कि झंडा फहराने के लिए ऊपर जाने वाले की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दो झंडे फहराए गए और ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है.

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'शिखर पर ध्वज फहराना खतरे से खाली नहीं'

गौरतलब है कि द्वारका के जगत मंदिर में शिखर पर प्रतिदिन पांच बार ध्वज फहराए जाते हैं. सोमवार की सुबह झंडा फहराया गया. उसके बाद पहले वाले ध्वज के नीचे नया झंडा फहराया गया. मंदिर पर लगे दोनों झंडों को देखकर लोग कयासबाजी में जुटे हैं. दरअसल, मंदिर के शीर्ष पर ध्वज स्तंभ के ऊपर नया झंडा फहराना खतरे से खाली नहीं है. चूंकि तूफान के कारण तेज हवाएं चल रही हैं, जिससे ऊपर चढ़ना खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए नए ध्वज को पुराने के नीचे फहराया जा रहा है.

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शिखर पर चढ़ाया जाता है ध्वज

बताते चलें कि ऐसा पहले भी कई बार हुआ है. गुजरात के मोरबी में जब डैम बह गया था, तब भी अतिवृष्टि के कारण दो ध्वज लगाए गए थे. मंदिर के 50 मीटर ऊंचे शिखर पर 52 गज का ध्वज दिन में 5 बार बदला जाता है. इससे पहले मई 2021 में गुजरात से टकराने वाले चक्रवात से पहले भी दो ध्वज लगाए गए थे. यह रक्षा ध्वज कहलाता है. श्रद्धालुओं का मानना है कि ध्वज मंदिर और नगर की रक्षा करता है. तेज हवाओं के बीच शिखर पर ध्वजा चढ़ाना मुश्किल कार्य होता है.

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