
देश के विभिन्न हिस्सों में पानी की किल्लत और उससे उपजे असंतोष के एक-एक कर मामले लगातार सामने आ रहे हैं. दिल्ली से लेकर शिमला तक लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है, इस बीच गुजरात के कई हिस्सों में भी पानी की कमी हो गई है.
गुजरात के मोरबी में पानी की किल्लत से निपटने में सरकार के विफल रहने पर महिलाओं ने सड़कों पर बर्तन तोड़ कर अपना गुस्सा जाहिर किया. गुजरात के साथ ही महाराष्ट्र के कई हिस्से हैं जहां पानी का संकट रहता है. महाराष्ट्र में पर्याप्त बारिश नहीं होने की वजह से पिछले साल लातूर में रेलगाड़ी से पानी की आपूर्ति की गई थी.
पानी पर प्रभावशाली लोगों का कब्जा
बहरहाल बता दें कि हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में पैदा हुए जल संकट ने एक तरफ जहां जल वितरण और प्रबंधन को लेकर सरकार की सजगता के दावों की पोल खोल दी है, वहीं यह भी साबित कर दिया है कि सुविधाओं के मामले में आम आदमी का नंबर दूसरा है.
जांच में सामने आया है कि शिमला के प्रभावशाली लोग और पॉश एरिया में तब भी पानी उपलब्ध था, जब आम आदमी खाली बाल्टियां लेकर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे थे.
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रभावशाली लोगों को टैंकरों द्वारा पानी की आपूर्ति करने की शिकायतें मिलने के बाद इस सुविधा को केवल मुख्यमंत्री और राज्यपाल तक सीमित कर दिया था.
हिमाचल प्रदेश के सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने आजतक से खास मुलाकात में स्वीकार किया है कि शिमला में पानी की आपूर्ति में गड़बड़ियां थीं और कुछ लोगों को गैरकानूनी तरीके से पानी दिया जा रहा था.
महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रभावशाली लोगों को पहले पानी देने का दस्तूर पिछली सरकार के समय से ही चला आ रहा था जो शिमला में जल संकट के बाद सामने आया.