
यूं तो सदियों से राम भक्त रामनवमी मनाते आ रहे हैं. मगर, इस बार रामनवमी की खुशी अलग इसलिए है क्योंकि रामनवमी के पावन अवसर पर भगवान श्रीराम अयोध्या के अपने मंदिर में वर्षों के इंतजार के बाद विराजित होकर अपने भक्तो को दर्शन दे रहे हैं. ऐसे में गुजरात के शहर सूरत के भेस्तान इलाके में भगवान श्रीराम के एक भक्त की भी चर्चा हो रही है.
उनके घर पर सोना, हीरा पन्ना और माणिक्य रत्न से जड़ित दुर्लभ रामायण ग्रंथ है. इस 530 पन्ने की रामायण में 222 तोला सोने की स्याई से रामायण की चौपाइयां लिखी गई हैं. इस अनोखी रामायण में दस तोला सोना, चार हजार हीरे के नग के साथ माणिक्य और पन्ना जैसे रत्नों का भी प्रयोग किया गया है. इस रामायण के कवर को बनाने के लिए पांच किलो चांदी का भी प्रयोग किया गया है.
43 साल पहले यह रामायण हुई थी तैयार
भेस्तान इलाके में रहने वाले स्वर्गीय राम भाई भक्ता ने इस अनोखी रामायण को तैयार करवाया था. अब इस रामायण को उनके बाद उनके बेटे संभाल रहे हैं. यह अनोखी रामायण आम दिनों में तो बैंक के लॉकर में रख दी जाती है. राम नवमी, दीपावली और गुरु पूर्णिमा के दिन बैंक के लॉकर से निकालकर इसे घर में लाया जाता है, जहां इसे दर्शन के लिए भक्तों के सामने रखा जाता है.
सूरत में यह अद्भुत रामायण दुनिया की एक मात्र ऐसी रामायण है, जिसमें इतने सारे रत्न, हीरे, सोने और चांदी का इस्तेमाल किया गया है. बताते चलें कि इस अनोखी रामायण को 43 साल पहले तैयार किया गया था. राम भाई भक्ता के निधन के बाद अब उनके बेटे राजेश भाई भक्ता और उनका पोता गुणवंत भक्ता इस रामायण को बैंक के लॉकर से निकाल कर भक्तों के दर्शन के लिए घर में लाते हैं.
9 महीने और 9 घंटे में लिखी गई थी यह
रामनवमी के पावन अवसर पर इस बार भी बड़ी संख्या में भक्त इस रामायण के दर्शन करने के लिए उनके घर पर पहुंचे. भक्तों ने बड़े श्रद्धापूर्वक रामायण के दर्शन किए और फूल चढ़ाए. इस अनोखी रामायण की देखरेख करने वाले राजेश भाई ने बताया कि उनके दादा द्वारा मिली इस रामायण को लिखने में 9 महीने और 9 घंटे का समय लगा था.
इस रामायण को लिखने में 12 लोगों ने साथ सहकार दिया था. 530 पन्ने की रामायण में भगवान राम के जीवन चरित्र को चौपाइयों के जरिए दर्शाया गया है. इस रामायण में 5 करोड़ बार श्रीराम नाम लिखा गया है. चौपाइयों के अक्षरों को चमकाने के लिए हीरे का भी इस्तेमाल किया गया है.
इसके लिए जर्मनी से मंगवाए थे कागज
प्रभु श्रीराम के परम भक्त राम भाई गोकर्ण भाई भक्त द्वारा इस रामायण को लिखा गया था. इस ग्रंथ को लिखने के लिए पुष्य नक्षत्र तय किया गया था. रामायण का कवर पेज और अंदर के पन्ने पर सोने की स्याही और महंगे रत्न का इस्तेमाल किया गया है, इसलिए इस रामायण को सुरक्षा के लिहाज से बैंक के लॉकर में रखा जाता है.
इस अनोखी रामायण को लिखने के लिए कागज जर्मनी से मंगवाए गए थे. उन कागजों की विशेषता यह है कि सफेद होने के बावजूद छूने से उसमें दाग नहीं लगते हैं. पानी से धोने के बावजूद भी उन पर कोई असर नहीं होता है.