
किसानों के मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सहयोगी दलों और समर्थकों के सुर बदलने लगे हैं. अकाली दल के बाद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने भी किसानों को मसले पर केंद्र सरकार के रवैये को लेकर सवाल खड़े किए हैं.
जेजेपी के संस्थापक और पार्टी अध्यक्ष अजय चौटाला ने कहा कि सरकार के दिग्गज यह कहते घुम रहे हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जारी है. अगर ऐसा है तो उसे बिल में शामिल करने में क्या समस्या है?
एक समाचार एजेंसी के मुताबिक हरियाणा में बीजेपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन की सहयोगी जननायक जनता पार्टी ने मंगलवार को सुझाव दिया कि केंद्र को किसानों को लिखित आश्वासन देना चाहिए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली जारी रहेगी. चौटाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा एमएसपी पर आश्वासन बार-बार दिया गया है.
हरियाणा में बीजेपी को झटका
अजय चौटाला की यह टिप्पणी हरियाणा में निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान के राज्य में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार से समर्थन वापस लेने के एक दिन बाद सामने आई है. सोमबीर सांगवान ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को समर्थन देने का ऐलान किया था.
असल में निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने हरियाणा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. विधायक ने कहा कि किसानों के साथ जिस तरह का व्यवहार किया गया है, उसको देखते हुए मैं सरकार से अपना समर्थन वापस लेता हूं. इससे पहले हरियाणा में दादरी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने राज्य पशुधन विकास बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था.
बेनीवाल भी किसानों के साथ
वहीं राजस्थान में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता हनुमान बेनीवाल ने भी कानून को रद्द करने की मांग की थी. उन्होंने सोमवार को ट्वीट कर कहा था, 'मैंने केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध किया है और अमित शाह को एक पत्र लिखा है कि अगर काले कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है, तो हम एनडीए को अपना समर्थन जारी रखने के बारे में सोचेंगे.'
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क्या है किसानों की मांग
किसान यूनियनों का कहना है कि सितंबर में केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि-विपणन कानून एमएसपी प्रणाली को खत्म कर देंगे. जबकि केंद्र का कहना है कि एमएसपी प्रणाली जारी रहेगी, कई प्रदर्शनकारी किसान लिखित आश्वासन मांग रहे हैं. कुछ ने कानून में संशोधन का सुझाव भी दिया है.