
अपनी ईमानदारी और बेबाकी के लिए जाने जाने वाले हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका एक बार फिर सुर्खियों में है.
कुछ दिन पहले खट्टर सरकार के मंत्री कृष्ण बेदी को गाड़ी के दुरुपयोग पर खरी खोटी सुनाने वाले अशोक खेमका ने अब बिना किसी डर के हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कार्यालय के उस फैसले पर सवाल उठा दिए हैं जिसके तहत मुख्यमंत्री के निजी स्टाफ को दिवाली के मौके पर एक महीने के वेतन के बराबर मानदेय देने की बात की गई है.
मुख्यमंत्री और राज्य के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में अशोक खेमका ने मुख्यमंत्री के निजी स्टाफ को दीवाली के मौके पर दिए जा रहे इस नकद तोहफे पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
सरकार के इस नकद तोहफे को गैर जरूरी बताते हुए अशोक खेमका ने हरियाणा सिविल सेवा के चैप्टर 5 के नियम 50 का हवाला देते हुए कहा है कि सरकारी कर्मचारियों को मानदेय सिर्फ बहुत ही खास काम करने पर मिलता है और उसकी सीमा सिर्फ 10 हजार रुपए तक होती है.
लेकिन दीवाली के मौके पर मनोहर लाल खट्टर ने अपने निजी स्टाफ के लिए सरकारी खजाने खोल दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री के 181 लोगों के निजी स्टाफ को एक महीने के बराबर वेतन के बराबर मानदेय देने का निर्देश दिया गया है. कुछ लोगों को तो ₹70000 तर्क दिए जा रहे हैं, जो नियमों के खिलाफ है.
अशोक खेमका ने अपनी ही सरकार की खिंचाई हो करते हुए कहा है कि दिवाली के नाम पर दिया जा रहा मानदेय न केवल नियमों के खिलाफ है बल्कि कर्मचारियों के एक वर्ग विशेष को दिया जा रहा है जो प्रतिनियुक्ति यानी डेपुटेशन पर हैं. जिन कर्मचारियों को हजारों रुपए का नकद दिवाली तोहफा दिया जा रहा है उनमें ज्यादातर लोग मुख्यमंत्री ऑफिस, मुख्यमंत्री आवास और मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात हैं.
कुछ दिन पहले अशोक खेमका ने खट्टर कैबिनेट के मंत्री कृष्ण बेदी को साल भर अपने विभाग की एक जीप के दुरुपयोग पर खरी खोटी सुनाई थी और उनको इमानदारी का पाठ पढ़ाया था. मंत्री महोदय ने अगले ही रोज उस जीप को विभाग के हवाले कर दिया था. अब देखने वाली बात होगी क्या मुख्यमंत्री अपने निजी स्टाफ को हजारों रुपए का मानदेय देने के फैसले को वापस लेते हैं या नहीं.