
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में 10 जुलाई को बाबा माखन शाह लबाना और बाबा लक्खी शाह वंजारा की जयंती पर प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन होगा. थानेसर की नई अनाज मंडी में आयोजित होने वाले भव्य समारोह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे.
हरियाणा सरकार ‘संत-महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रसार योजना’ के तहत महापुरुषों के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रही है. इस कार्यक्रम को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि हमारे संत-महात्मा, गुरु और महापुरुष न केवल हमारी अमूल्य धरोहर हैं बल्कि हमारी प्रेरणा भी हैं. ऐसी महान विभूतियों की शिक्षाएं पूरे मानव समाज की धरोहर हैं. उनकी विरासत को संभालने और सहेजने की जिम्मेदारी हम सबकी है.
कौन थे बाबा माखन शाह लबाना?
बाबा माखन शाह लबाना का जन्म सन् 1619 में कर्नाटक के हम्पी शहर में हुआ था. बाबा माखन शाह लबाना (पेलिया वणजारा) का नाम सिख इतिहास में बड़े आदर के साथ लिया जाता है. बाबा माखन शाह लबाना 7वें, 8वें और 9वें सिख गुरु साहिब के समकालीन थे. गुरु साहिबान के प्रमुख मसंदों में से एक थे. 9वें सिख गुरु तेग बहादुर साहिब को लेकर विरोधियों के द्वारा भ्रम फैलाए जा रहे थे. उनको दूर करने में बाबा माखन शाह लबाना की अहम भूमिका रही.
बाबा माखन शाह लबाना एक बड़े व्यापारी भी थे. इनका व्यापार एशिया, अफ्रीका और यूरोप तक फैला हुआ था. बाबा माखन शाह लबाना और बाबा लक्खी शाह वंजारा सगे साढ़ू भी थे.
पाकिस्तान में हुआ था बाबा लक्खी शाह का जन्म
बाबा लक्खी शाह वंजारा का जन्म गांव खैरपुर जिला मुजफ्फरगढ़ (पाकिस्तान) में 4 अप्रैल 1580 को भाई गोदु नायक के घर में हुआ था. बाबा लक्खी शाह वंजारा, भाई ठाकुर शाह के पौत्र हैं, जो पीढ़ियों से गुरु नानक साहिब के श्रद्धालु सिख रहे हैं.
बता दें कि नायक दूसरे नानक गुरु अंगद साहिब के सिख थे. गुरु साहिब ने उन्हें धार्मिक प्रचार के लिए उपदेशक/मसंद के रूप में नियुक्त किया था. परिवार ने पीढ़ी दर पीढ़ी गुरु नानक साहिब के घर में दसों गुरु साहिबानों के साथ आगे होकर सिक्खी सेवा कमाई थी.
11 नवंबर, 1675, जब गुरु तेग बहादुर साहिब को दिल्ली में औरंगजेब के आदेशों पर शहीद किया गया तब बाबा लक्खी शाह वंजारा चांदनी चौक से उनके शरीर को उठाकर ले आए और अपने घर में उनका अंतिम संस्कार किया था.