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हरियाणा: प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय लोगों को मिलेगा 75% आरक्षण, विधानसभा में बिल पास

सत्तारूढ़ बीजेपी की सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) ने बीते विधानसभा चुनाव में प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण देने का वादा किया था.

मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला मनोहर लाल खट्टर और दुष्यंत चौटाला
aajtak.in
  • चंडीगढ़,
  • 05 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 11:22 PM IST
  • 50 हजार से कम वेतन वाली नौकरियों पर लागू
  • जेजेपी ने चुनाव से पहले किया था वादा
  • दुष्यंत चौटाला ने सदन में पेश किया विधेयक

हरियाणा विधानसभा में गुरुवार को प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण देने के प्रावधान का बिल पास किया गया. इस बिल में सूबे की 50 हजार रुपये प्रतिमाह से कम वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है. सत्तारूढ़ बीजेपी की सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) ने बीते विधानसभा चुनाव नौकरियों में आरक्षण देने का वादा किया था.

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यह बिल राज्य में स्थित निजी कंपनियों, सोसाइटीज़, ट्रस्ट और पार्टनरशिप फर्मों पर लागू होगा. इस बिल पर राज्यपाल की मंजूरी मिलनी बाकी है जिसके बाद यह कानून में तब्दील हो जाएगा. हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया. 

बिल में योग्य लोगों की कमी होने पर स्थनीय लोगों को प्रशिक्षण देने का भी प्रावधान है. हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा गुरुवार को विधानसभा में ये बिल पास किया गया. सदन द्वारा विधेयक पारित किए जाने के बाद चौटाला ने कहा कि लाखों युवाओं से किया गया वादा अब पूरा हो चुका है.

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इस बिल को लेकर सीएम कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है, ''मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधानसभा में कहा कि ‘हरियाणा राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक-2020’ लाने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध करवाना है. इससे निजी क्षेत्र में हरियाणा के युवाओं की 75 प्रतिशत हिस्सेदारी सुनिश्चित होगी''.

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बता दें कि दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में स्थानीय युवकों को प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण देने संबंधी वादा किया था. इस बिल के पेश होने के साथ ही उन्होंने अपना वादा पूरा किया है.

इससे पहले बीते साल बीजेपी-जेजेपी सरकार नौकरी संबंधी एक बिल पर राज्यपाल सत्यदेव आर्य ने मंजूरी नहीं दी थी और बिल को विचार के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया था. इसके बाद सरकार ने नौकरी संबंधी बिल लाने का वादा किया था लेकिन कोरोना महामारी के चलते सदन की कार्यवाही रोक दी गई थी जो अब जाकर शुरू हुई है.


 

  

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