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हरियाणा में सर छोटूराम पर दांव, जानिए BJP के लिए कैसे हैं ट्रंप कार्ड

हरियाणा की सियासी बाजी एक बार फिर अपने नाम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर छोटूराम की मूर्ती का अनावरण करेंगे. बीजेपी इसके तहत एक तरफ जहां वो किसानों साधने की रणनीति है तो दूसरी तरफ कांग्रेस के मजबूत दुर्ग रोहतक में कमल खिलाने की योजना मानी जा रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो क्रेडिट, PTI) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो क्रेडिट, PTI)
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 12:33 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलावर को हरियाणा के रोहतक में किसानों के मसीहा सर छोटूराम की 64 फीट की प्रतिमा का अनवारण करेंगे. माना जा रहा है कि इसके जरिए बीजेपी एक तीर से दो शिकार करना चाहती है. पहला छोटूराम के बहाने किसानों को लुभाना और दूसरा पीएम मोदी को रोहतक बुलाकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दुर्ग में सेंध लगाना.

सर छोटूराम को हरियाणा के बाहर भले ही ज्यादा लोग नहीं जानते हो, लेकिन हरियाणा के किसानों के बीच एक जाना-पहचाना नाम है. छोटूराम हरियाणा के रोहतक जिले के गढ़ी सांपला गांव के रहने वाले थे. वो जाट समुदाय से थे.

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अंग्रेज हुकूमत के खिलाफ उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी. इसका का नतीजा था कि राज्य के किसान आज भी उन्हें अपना मसीहा मानते है. हरियाणा में सर छोटूराम को नैतिक साहस की मिसाल माना जाता है.

बता दें कि रोहतक इलाका कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का मजबूत गढ़ माना जाता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 संसदीय सीटों में 7 सीटों बीजेपी जीतने में सफल रही थी, लेकिन मोदी लहर हुड्डा के गढ़ रोहतक में अपना असर नहीं दिखा सकी. हुड्डा के बेटे दिपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल करने में सफल रहे थे.

हरियाणा में बीजेपी हुड्डा के दुर्ग में कमल खिलाने की जुगत में है. बीजेपी रोहतक में हुड्डा के वोटबैंक जाट समाज को साधने की रणनीति बनाई है. इसी के तहत पीएम मोदी सर छोटूराम के मूर्ती अनावरण करेंगे.  इसके बाद पीएम उस म्यूजियम भी जाएंगे, जहां सर छोटूराम से जुड़ी कई चीजें संरक्षित की गई हैं. इस म्यूजियम में उनके जीवन को फिर से उकेरने का प्रयास भी किया गया है.

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गौरतलब है कि हरियाणा का जाट समुदाय आरक्षण की मांग को लेकर कई बार आंदोलन कर चुका है. इसके बावजूद अभी तक उनकी ये मांग पूरी नहीं हो सकी है. इसके अलावा हरियाणा में गैर जाट सीएम के चलते भी वो नाराज माने जा रहे है.

देश के साथ-साथ हरियाणा के किसान भी अपनी मोदी सरकार के खिलाफ कई बार आंदोलन कर चुके हैं. इन वोटों पर कांग्रेस की नजर है. दूसरी तरफ, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने बसपा के साथ हाथ मिलकर 2014 के लोकसभा चुनाव में जाट-दलित गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी सर छोटूराम का दांव चलकर कांग्रेस और एनेलो के मतों को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

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