
हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) के नंबर का मसला एकबार फिर चर्चा में है. सोमवार को अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि एसीआर के नंबर छवि के आधार पर मिलते हैं. इस कार्यक्रम में अशोक खेमका भी मौजूद थे.
खट्टर ने खेमका का नाम लिए बगैर यह बयान दिया. उन्होंने कहा कि हम उसको प्रमोशन में कोई न कोई मदद करते थे. जो एसीआर लिखी जाती है, उसमें किसी को आठ नंबर देते हैं, किसी को नौ तो किसी को साढ़े नौ देते हैं. मुख्यमंत्री ने खेमका की ओर इशारा करते हुए कहा कि ठीक है, कोई नहीं मानता और कहता है कि मैं आपको नहीं मानता. मैं तो हाई कोर्ट जाऊंगा. उन्होंने कहा कि जो शुद्ध मन से काम करता है वह अपने मातहत के लिए भी शुद्ध मन से कार्य करता है और जो उसको मिलता है उसके ऊपर भी कोई सुपीरियर बॉस होता है.
प्रमोशन के लिए परीक्षा का दिया सुझाव
मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक अधिकारियों के प्रमोशन के लिए एक परीक्षा कराने का सुझाव दिया और कहा कि इसे पास करना अनिवार्य किया जाना चाहिए. इससे टैलेंट को उभरने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि एसीआर के अलावा परीक्षा पास करने का प्रावधान इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अक्सर प्रमोशन सिफारिश के आधार पर किए जाते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आप चाहे जितना अच्छे बन के दिखा दो, छवि आपकी गंदी है तो है. एक छवि बनती है कि यह व्यक्ति अच्छा है. उस अच्छे व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए कोई रोक नहीं सकता.
क्या है खेमका की एसीआर का मामला
बता दें कि हरियाणा के तत्कालीन मुख्य सचिव डीए ढेसी ने खेमका को साल 2016 -17 की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में 10 में से 8.22 नंबर दिए थे. अनिल विज ने खेमका के कार्यकाल को बेहतर बताते हुए 10 में से 9.92 अंक दिए थे. वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट मुख्यमंत्री खट्टर के पास पहुंची तो उन्होंने खेमका को 10 में से नौ नंबर दिए और कहा था कि अनिल विज ने उनकी रिपोर्ट को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया है. अंक कम किए जाने से नाराज खेमका हाई कोर्ट चले गए, जहां से फैसला उनके हक में आया.
खेमका के हो चुके 53 ट्रांसफर
अशोक खेमका अपने कार्यकाल में अब तक 53 ट्रांसफर का दंश झेल चुके हैं. हाल ही में तबादला होने पर खेमका का दर्द छलक आया था. खेमका ने कहा था कि उनको ईमानदारी के बदले सिर्फ जलालत मिली है. अब मुख्यमंत्री के बयान से साफ है कि अशोक खेमका का अड़ियल रवैया वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों को रास नहीं आता.